
आँवला, जिसे भारतीय तिब्ब-ए-यूनानी (यूनानी चिकित्सा) में अमृत फल कहा जाता है, न सिर्फ ज़ायके (स्वाद) में तीखा और खट्टा है, बल्कि इसके सही (सेहत) के मोजिज़ात (स्वास्थ्य चमत्कार) भी बेमिसाल हैं। यह ग़ज़ल आँवले की कुदरती अता की हुई ताक़त (प्राकृतिक शक्ति) और उसके सही (सेहत) पर हैरतअंगेज़ असरात (हैरान करने वाले प्रभाव) को बयान करती है। शायराना अंदाज़ (काव्यात्मक शैली) में यह बताया गया है कि कैसे आँवला न सिर्फ जिस्मानी तंदुरुस्ती (शारीरिक स्वास्थ्य) को रौशन (प्रकाशित) करता है, बल्कि ज़हनी (मानसिक) और दिली कैफ़ियतों (मन:स्थितियों) पर भी नूरानी असर (आध्यात्मिक प्रभाव) डालता है।
इसका मुस्तक़िल (लगातार) इस्तेमाल ख़ून का दौरानिया (रक्त प्रवाह), हाज़मा (पाचन), और जिल्द (त्वचा) की रौनक़ (चमक) को चमकदार बनाता है। क़दीम (पुराने) हकीमों ने इसकी अज़मत (गरिमा) को कसीदों (प्रशंसा गीत) में महफ़ूज़ (सुरक्षित) किया, और आज भी तिब्ब-ए-क़दीम (पारंपरिक चिकित्सा) में इसका मुक़ाम-ए-बुलंद (उच्च स्थान) है। इस ग़ज़ल में आँवले को कुदरत (प्रकृति) का अनमोल ख़ज़ाना क़रार दिया गया है।”
ग़ज़ल– आँवला की ख़ूबसूरती
मतला:
हर मर्ज़ की शिफ़ा है, ये दौलत पुरानी,
करम है ख़ुदा का, मिली नेमतें जानी।
शे‘र:
जो खाए इसे, रंगतें खिल उठेंगी,
सजीवन है ये, रौशनी कर निशानी।
बढ़ाए ये ताक़त, रखे दिल जवाँ सा,
बचाए बला से, ये सबकी कहानी।
मसाइल हों ख़ून के या बालों की चिंता,
ये देता है राहत, नज़र की भी मानी।
जिगर की हिफ़ाज़त, बदन की निख़ासत,
ये ख़ज़ाना है सेहत का, मानो निशानी।
सदियों से हकीमों ने इसको सराहा,
मिटाए ये बीमारी, करे जादुई जानी।
गिरें जो भी बाल, फिर उगाए ये ताज़ा,
रहे तंदुरुस्ती, बढ़े ज़िंदगानी।
ये आँवला ताक़त का है इक ख़ज़ाना,
बचाए बला से, करे मेहरबानी।
“क़बीर” आँवले से मिले ज़िंदगानी,
ये क़ुदरत की दौलत, इसे सबने मानी।
उर्दू शब्दों के अर्थ:
दौलत – संपत्ति, करम – कृपा, नेमतें – आशीर्वाद, रंगतें – चमक, सजीवन – जीवनदायिनी, ताक़त – शक्ति, बला – विपत्ति, मसाइल – समस्याएँ, राहत – शांति, हिफ़ाज़त – सुरक्षा, निख़ासत – सुधार, ख़ज़ाना – खजाना, हकीम – चिकित्सक, जादुई – चमत्कारी, तंदुरुस्ती – स्वास्थ्य, ज़िंदगानी – जीवन, मेहरबानी – कृपा, क़ुदरत – प्रकृति
