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दास्तान-ए-वफ़ा: एक ग़ज़ल

🖋️ तआर्रुफ़ (Introduction): “दास्तान-ए-वफ़ा” एक रूह को छू जाने वाली ग़ज़ल है जो मोहब्बत की उस दास्तान को बयाँ करती है जो अल्फ़ाज़ से परे है। इसमें वफ़ा, तन्हाई, दर्द,…

ख़ामोशी की ज़बान: एक गीत

🖋️ तआर्रुफ़ (Introduction): “ख़ामोशी की ज़बान” एक रूह को छू जाने वाला गीत है, जो उस मोहब्बत की दास्तान बयां करता है जो अल्फ़ाज़ की मोहताज नहीं। जब किसी के…

एहसास-ए-वफ़ा: एक गीत

🖋️ तआर्रुफ़ (Introduction): “एहसास-ए-वफ़ा” एक जज़्बाती गीत है जो मोहब्बत में वफ़ा की तलाश और जुदाई के बाद दिल पर पड़ने वाले असरात को बख़ूबी बयान करता है। ये गीत…

इशारों की ज़बान: एक ग़ज़ल

तआर्रुफ़ (Introduction): “इशारों की ज़बान” एक रूहानी ग़ज़ल है जो उन अहसासों को आवाज़ देती है जो लफ़्ज़ों से परे हैं। इसमें सुकूत-ए-नज़र, तर्ज़-ए-बयाँ, और अक्स-ए-जुनूँ जैसे इज़ाफ़ती अल्फ़ाज़ के…

साया-ए-ग़म: एक ग़ज़ल

🖋️ तआर्रुफ़ (Introduction): “साया-ए-ग़म” एक दर्द से लिपटी हुई रूहानी ग़ज़ल है जो मोहब्बत, शिकस्त, वफ़ा और तन्हाई के उन लम्हों को बयाँ करती है जो अक्सर अल्फ़ाज़ से परे…

अक्स-ए-आरज़ू: एक ग़ज़ल

🌟 🖋️ तआर्रुफ़ (Introduction): “अक्स-ए-आरज़ू” मोहब्बत की उस गहराई को बयाँ करती ग़ज़ल है जहाँ वफ़ा की तसवीरें टूटती हैं, ख़्वाब बुझते हैं, और सफ़र सिर्फ़ साया-ए-ग़म बन जाता है।…

तमीज़-ए-वफ़ा: एक ग़ज़ल

🖋️ तआर्रुफ़ (Taarruf): “तमीज़-ए-वफ़ा” एक रूहानी ग़ज़ल है जो मोहब्बत में वफ़ा की असल सूरत और उसकी तौहीन करने वालों पर तीखा और असरदार तंकीद करती है।इस ग़ज़ल में “क़बीर”…

सोज़-ए-नवा: एक ग़ज़ल

🖋️ तआर्रुफ़: “सोज़-ए-नवा” एक रूहानी ग़ज़ल है जो वफ़ा, मोहब्बत, तहज़ीब और इश्क़ की पाकीज़गी को अल्फ़ाज़ की सदा में ढालती है। इसमें हर शेर एक सच्चे जज़्बे की तर्जुमानी…

ताबीर-ए-ग़म: एक ग़ज़ल

🖋️ तआर्रुफ़ “ताबीर-ए-ग़म” शायर “क़बीर” की एक गहराई से लबरेज़ ग़ज़ल है जो दर्द, तन्हाई और रूहानी सब्र की परतों को उज़ागर करती है। इसमें हर शेर एक आइना है…

नूर-ए-नज़र: एक ग़ज़ल

🖋️ तआर्रुफ़: “नूर-ए-नज़र” मोहब्बत और अकीदत की उस मंज़िल की ग़ज़ल है जहाँ अल्फ़ाज़ सज़दा करते हैं और एहसास इबादत बन जाते हैं। इसमें “क़बीर” ने रूह को छू लेने…

गुमनाम क़दमों का सफ़र: एक ग़ज़ल

🖋️ तआर्रुफ़ (Introduction): “गुमनाम क़दमों का सफ़र” ग़ज़ल एक ऐसे दिल की सदा है जो तन्हाई और ग़ैर-मुहब्बत के रास्तों पर खामोशी से चला, और भीड़ में भी गुमनाम रह…

सदा-ए-जफ़ा: एक ग़ज़ल

🖋️तआर्रुफ़: ग़ज़ल “सदा-ए-जफ़ा” मोहब्बत की उन हकीकतों को बेनक़ाब करती है जो अक्सर सिर्फ़ अल्फ़ाज़ों में रह जाती हैं। शायर “क़बीर” ने अपने अशआरों में उन जज़्बातों को पिरोया है…

तेरे बाद की ज़िंदगी: एक ग़ज़ल

🖋️ तआर्रुफ़ (Taarruf): “तेरे बाद की ज़िंदगी” एक रूहानी ग़ज़ल है जो मोहब्बत के उस अधूरे सफ़र की दास्तान कहती है जहाँ महबूब तो चला गया, मगर दिल उसका दीवाना…

तेरी यादों का नूर: एक ग़ज़ल

🖋️ तआर्रुफ़ (Introduction): “तेरी यादों का नूर” एक रूहानी ग़ज़ल है जो मोहब्बत की ख़ामोश गहराई और जुदाई के बाद भी महबूब की मौजूदगी का अहसास बयाँ करती है। इसमें…

तेरी याद का सफ़र: एक ग़ज़ल

🖋️ तआर्रुफ़ (Introduction): “तेरी याद का सफ़र” एक ग़ज़ल है जो इश्क़ की जुदाई, यादों की गहराई और तसव्वुर की ताबीर को शायरी के लफ़्ज़ों में बेहद नफ़ासत से बयां…

रिश्ता बे-सबब: एक ग़ज़ल

🖋️ तआर्रुफ़: “रिश्ता बे-सबब” एक रूहानी और जज़्बाती ग़ज़ल है, जो उस अलौकिक रिश्ते को बयान करती है जो बिना किसी वजह के दिल से जुड़ जाता है। शायर ने…

दर्द का सफ़र: एक ग़ज़ल

🖋️ तआर्रुफ़: “दर्द का सफ़र” एक जज़्बाती और गहराई से लबरेज़ ग़ज़ल है, जो मोहब्बत में मिले धोखे, जुदाई के ज़ख़्म, और यादों की रहगुज़र से गुज़रते दिल की आवाज़…

रंग-ए-रज़ा: एक ग़ज़ल

🖋️ तआर्रुफ़ (Introduction): “रंग-ए-रज़ा” एक सूफ़ियाना और रूहानी अहसास से लबरेज़ ग़ज़ल है, जिसमें शायर ने ज़िंदगी के ग़मों, शिकस्तों और बदनसीबियों को खुदा की रज़ा में बदलते देखा है।…

ख़ुशबू-ए-मोहब्बत की कमी: एक ग़ज़ल

🟢 तआर्रुफ़: “ख़ुशबू-ए-मोहब्बत की कमी” एक दिल को छू लेने वाली ग़ज़ल है जो आज के दौर की मोहब्बत की बदलती फितरत और इंसानी रिश्तों की गिरती शराफ़त पर गहरा…

तेरे बिना… : एक ग़ज़ल

📘 तआर्रुफ़: “तेरे बिना…” एक दर्दभरी ग़ज़ल है जो मोहब्बत के उस मोड़ पर खड़ी है, जहाँ जुदाई सिर्फ़ दूरी नहीं, बल्कि रूह का बिखरना बन जाती है। शायर ने…

तन्हाई की पुकार: एक ग़ज़ल

📘 तआर्रुफ़: “तन्हाई की पुकार” एक ऐसी ग़ज़ल है जो बिछड़ने के बाद की अधूरी मोहब्बत और न मिट सकने वाली यादों की सच्ची तस्वीर पेश करती है। इसमें दिल…

अफ़साना-ए-दीवानगी: एक ग़ज़ल

  📘 तआर्रुफ़: “अफ़साना-ए-दीवानगी” एक शायरी नहीं, एक मुकम्मल अहसास है — मोहब्बत की ख़ामोशी, तन्हाई की आवाज़, और बेवफ़ाई की भीनी सी कसक को अपने अंदर समेटे हुए। यह…

जुदाई का ग़म: एक ग़ज़ल

✍️ तआर्रुफ़: “जुदाई का ग़म” एक ग़ज़ल नहीं, बल्कि एहसासात की वो ज़मीन है जिस पर हर आशिक़ के आँसू बोए गए हैं। इस ग़ज़ल में तन्हाई, जुदाई, रुसवाई, और…

“ताबीर-ए-दिल से”: एक ग़ज़ल

✍️ तआर्रुफ़: “ताबीर-ए-दिल से” एक ग़ज़ल नहीं, बल्कि रूह का आईना है जिसमें मोहब्बत, जुदाई, ख़ामोशी और तसव्वुर की झलक मिलती है। इस ग़ज़ल में शायर ने दिल के सबसे…

“बेमिसाल लोग”: एक ग़ज़ल

✍️ तआर्रुफ़: “बेमिसाल लोग” एक ऐसी ग़ज़ल है जो इंसानियत, मोहब्बत, और बेमतलब की ख़िदमत को सलाम पेश करती है। इसमें वो किरदार उभरते हैं जो न नाम के भूखे…

“हक़ और अमल की बात”: एक ग़ज़ल

📘 तआर्रुफ़: “हक़ और अमल की बात” एक ऐसी ग़ज़ल है जो इस दौर के दोहरे मयार, मज़हब के दिखावे, और ख़ालिस इंसानियत के गुम होते उसूलों पर गहरा सवाल…

“रौशनी की तलाश”: एक ग़ज़ल

तआर्रुफ़: रौशनी की तलाश” एक ऐसी ग़ज़ल है जो दिलों के अंधेरों को मोहब्बत, तहज़ीब और इंसानियत की रौशनी से रौशन करने की कोशिश करती है। यह शायरी सिर्फ़ जज़्बातों…

“आराम की तलाश”: एक ग़ज़ल

तआर्रुफ़: ग़ज़ल “आराम की तलाश” उस ज़िंदगी की दास्तान है जो फ़र्ज़, जज़्बात, रिश्ते और हालात के बीच पिसती रही। यह शायरी उस इंसान की आवाज़ है जिसने अपनी तमाम…

“बंदा-ए-ख़ुद्दार की तलाश”: एक ग़ज़ल

तआर्रुफ़: “बंदा-ए-ख़ुद्दार की तलाश” एक ऐसी ग़ज़ल है जो आज़ादी-ए-फ़िक्र, उसूलों की पाबंदी और ज़मीर की आवाज़ को तलाशती है। यह शायरी उस दौर की तस्वीर पेश करती है जहाँ…

“भूल चले हैं”: एक ग़ज़ल

तआर्रुफ़: “भूल चले हैं” एक दर्द से लिपटी हुई ग़ज़ल है जो मोहब्बत, जुदाई और बेवफ़ाई के उन लम्हों को बयान करती है, जहाँ चाहने वाले की मौजूदगी अब सिर्फ़…

“रुका सा सिलसिला”: एक ग़ज़ल

तआर्रुफ़ : “रुका सा सिलसिला” एक दर्द-ओ-ख़ामोशी से लिपटी हुई ग़ज़ल है, जो जुदाई, तन्हाई और बदलते रिश्तों के एहसासात को बड़े शाइराना अंदाज़ में बयाँ करती है। इस ग़ज़ल…

“किसी की कहानी”: एक ग़ज़ल

तआर्रुफ़: “किसी की कहानी” एक जज़्बाती ग़ज़ल है जो वक़्त, यादों और रिश्तों के बदलते मआनी को गहराई से बयान करती है। यह शायरी उन लम्हों का आईना है, जब…

“सादगी का इंक़लाब”: एक ग़ज़ल

तआर्रुफ़: “सादगी का इंक़लाब” एक ऐसी शायरी है जो ज़िंदगी की असलियत और इंसानी फ़ितरत को सादगी की चादर में लपेटकर बयान करती है। इसमें शायर की ख़ामोशी, अदब, फ़क़्र,…

ग़ज़ा संकट-बच्चों की मौतें जारी

🌍 अंतरराष्ट्रीय समाचार | ग़ज़ा बना दुनिया की सबसे भूखी जगह, बच्चों की मौतें जारी, हालात बेहद गंभीर ग़ज़ा पट्टी, जून 2025 – ग़ज़ा में मानवीय संकट अपने सबसे भयावह…

“माँ के क़दमों तले जन्नत”: एक ग़ज़ल

तआर्रुफ़: ग़ज़ल “माँ के क़दमों तले जन्नत” एक जज़्बाती और असरदार पेशकश है, जो माँ के रिश्ते की पाकीज़गी और अहमियत को बयां करती है। इस ग़ज़ल में माँ की…

“हक़ीक़त के चेहरे”: एक ग़ज़ल

तआर्रुफ़: ग़ज़ल “हक़ीक़त के चेहरे” इंसानी रिश्तों की तहों में छुपे झूठ, दिखावे और बनावटीपन को बेनक़ाब करती है। कबीर की कलम से निकली यह शायरी सच्चाई, शफ़्फ़ाफ़ियत और उस…

“दाद और दर्द”: एक ग़ज़ल

तआर्रुफ़: ग़ज़ल “दाद और दर्द” एक ऐसे शख़्स की कहानी बयाँ करती है जो महफ़िलों की चकाचौंध में तनहा रह गया। इस ग़ज़ल में हर शेर उस दर्द को आवाज़…

“क़ुर्बानी-ए-हक़”: एक ग़ज़ल

तआर्रुफ़  ग़ज़ल “क़ुर्बानी-ए-हक़” क़ुर्बानी के असल मतलब को बयाँ करती है, जो सिर्फ़ जान देने तक सीमित नहीं। ये दिल के नफ़्स और शैताँ से लड़ने की बात करती है। शायर…

“अदम की आवाज़”: एक ग़ज़ल

तआर्रुफ़  “अदम की आवाज़” एक एहतेजाजी ग़ज़ल है जो मौलाना अदम गौंडवी की बाग़ी रूह और उनके सच्चे लफ़्ज़ों को सलाम पेश करती है। इस ग़ज़ल में शायर ने अदम…

लम्हा-ए-नायाब: एक ग़ज़ल

✍️ तआर्रुफ़: “लम्हा-ए-नायाब” एक रूहानी ग़ज़ल है जो उन ख़ास पलों की दास्तान कहती है, जो चुपचाप दिल के सबसे नर्म कोनों में अपना घर बना लेते हैं। इस ग़ज़ल…

इज़हार-ए-खौफ़: एक ग़ज़ल

🖋️  तआर्रुफ़: ग़ज़ल “इज़हार-ए-खौफ़” जज़्बातों की उस नाज़ुक सरहद पर खड़ी है जहाँ मोहब्बत तो है, लेकिन बयान करने का हौसला नहीं। हर शेर दिल के उस दर्द को उभारता…

“ग़ुस्सा-ए-वफ़ा”: एक ग़ज़ल

तआर्रुफ़:_ “ग़ुस्सा-ए-वफ़ा”  एक दिल को छू जाने वाली ग़ज़ल है जो मोहब्बत के उन लम्हों को बयाँ करती है जहाँ जुदाई भी वफ़ा का सबूत लगती है। यह ग़ज़ल उर्दू…

नक़्श-ए-पाय तेरे: एक ग़ज़ल

🟢 तआर्रुफ़: मोहब्बत एक ऐसा अहसास है जो बिछड़ने के बाद भी ज़िंदा रहता है, कभी यादों में, तो कभी ख़्वाबों में। “नक़्श-ए-पाय तेरे” नाम की यह ग़ज़ल, एक ऐसे…

ख़ामोश इंक़िलाब: एक ग़ज़ल

तआर्रुफ़: यह ग़ज़ल “ख़ामोश इंक़िलाब” उस बेआवाज़ मगर असरदार जद्द-ओ-जहद का बयान है जो एक तहज़ीब, एक क़ौम, और एक सोच ने हर ज़ुल्म, तशद्दुद और साज़िश के मुक़ाबिल में…

अब पछताए क्या: एक ग़ज़ल

📜 ताअर्रुफ़: ग़ज़ल “अब पछताए क्या” वक़्त की अहमियत, इनसानी बेपरवाही और उन लम्हों की नाक़द्री पर एक पुर-असर नज़रिया पेश करती है। इस ग़ज़ल में शायर ने वक़्त के…

तलाश-ए-गुल-वतन: एक ग़ज़ल

ताअर्रुफ़: “तलाश-ए-गुल-वतन” सिर्फ एक ग़ज़ल नहीं, बल्कि एक तहज़ीबयाफ़्ता चीख़ है — उस शायर की जो अपने वतन की उजड़ी हुई सूरत से ग़मगीन भी है और बेदार भी। हर…

अमन का पैग़ाम: एक ग़ज़ल

🌿 तआर्रुफ़ (परिचय): “अमन का पैग़ाम” ग़ज़ल सिर्फ़ अशआर का सिलसिला नहीं, बल्कि एक सोच, एक सरोकार, और एक सच्ची कोशिश है उस इंसानियत की जिसे सियासत, मज़हब और नफ़रत…

ज़ंजीरों का सब्र: एक ग़ज़ल

इस ग़ज़ल ‘ज़ंजीरों का सब्र’ में बग़ावत की रूह, इंसाफ़ की आरज़ू, और ज़ुल्म के ख़िलाफ़ हौसले की आग शामिल है। यह उन तमाम आवाज़ों का मंज़र-ए-अमल है जो सदियों…

सदा-ए-इंसाफ़: एक ग़ज़ल

ग़ज़ल “सदा-ए-इंसाफ़” एक आवाज़ है उस समाज के लिए जो बराबरी, इंसाफ़ और इंसानियत पर यक़ीन रखता है। इस ग़ज़ल में हर शेर एक सवाल भी है और एक जवाब…

जंग-ए-हक़: एक ग़ज़ल

ग़ज़ल ‘जंग-ए-हक़’ एक इंक़लाबी पैग़ाम है, जो ज़ुल्म, तसद्दुद और जाबिर हाकिमों के ख़िलाफ़ उठती हुई एक बुलंद आवाज़ है। इस ग़ज़ल में शायर ने हक़ और इंसाफ़ के लिए…

“ख़ामोशियाँ बोलती हैं”:एक ग़ज़ल

“ख़ामोशियाँ बोलती हैं” एक ऐसी ग़ज़ल है जो लफ़्ज़ों के शोर में नहीं, बल्कि जज़्बात की तन्हा गलियों में साँस लेती है। ये उन लम्हों का तर्जुमान है जहाँ अल्फ़ाज़…

वतन में बेनिशान साए: एक नज़्म

यह नज़्म “वतन में बेनिशान साए”, उस ग़मगीन (दुखी) हक़ीक़त (सचाई) की ग़ज़ल (कविता) है, जो किसी शख़्स (व्यक्ति) को अपने ही वतन (देश) में महसूस होने वाले तन्हाई (अकेलापन),…

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  • May 19, 2025
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राह-ए-इस्लाम: एक ग़ज़ल

यह ग़ज़ल राह-ए-इस्लाम की हक़ीक़ी तालीमात और असल मायने को बेइंतेहा खुबसूरती से पेश करती है। इसमें इंसानियत, मोहब्बत, और इंसाफ़ जैसे अहम मअानी को उभारते हुए उन कुत्सित रवैयों…

दौर-ए-फितना की दास्तान: एक ग़ज़ल

  🔷 भूमिका: “दौर-ए-फितना की दास्तान” हर दौर की एक अपनी दास्तान होती है—कुछ लफ़्ज़ों में दर्ज, कुछ ज़ख्मों में, और कुछ ख़ामोशियों में दफ़न। मगर जब ज़माना फितना (उथल-पुथल)…

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  • May 14, 2025
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उम्मत का बंटवारा: एक ग़ज़ल

“उम्मत का बंटवारा” एक ऐसी ग़ज़ल है जो महज़ अल्फ़ाज़ नहीं, बल्कि हमारे समाज की तारीख़ी ग़लतियों, बंटवारे की सियासत और मोहब्बत की शिकस्त की गवाही है। इस शायरी में…

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  • May 14, 2025
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सियासत और ईमान का सौदा: एक ग़ज़ल

सियासत और ईमान का सौदा” एक ऐसी ग़ज़ल है जो हमारे दौर की तल्ख़ हक़ीक़तों को बेनक़ाब करती है। इस ग़ज़ल में जज़्बात, तहज़ीब और दीनी एहसासात का मेल दिखाई…

जज़्बातों की ज़ुबान:एक ग़ज़लनुमा दास्तान

जज़्बातों की ज़ुबान:एक ग़ज़लनुमा दास्तान जज़्बातों की ज़ुबान कभी भी ज़िंदगी को फूलों का बिस्तर नहीं समझती। जज़्बातों की चादर पर अक्सर ख़ामोशी (चुप्पी) की सिलवटें (शिकनें/झुर्रियाँ) होती हैं, और…

  • adminadmin
  • May 11, 2025
  • 0 Comments
इश्क़ का क़हल: एक ग़ज़ल

“इश्क़ का क़हल” (प्यार का सूखा या ठहराव) की यह ग़ज़ल मोहब्बत के उन लम्हों को बयान करती है जहाँ जज़्बात अपनी आख़िरी हदों तक पहुँचकर ख़ामोशी ओढ़ लेते हैं।…

राहगुज़र-ए-इश्क़:एक ग़ज़ल

यह ग़ज़ल “राहगुज़र-ए-इश्क़” एक रूहानी (आध्यात्मिक) सफ़र को बयान करती है, जहाँ इश्क़ (प्रेम) सिर्फ एक जज़्बा (भावना) नहीं बल्कि एक कशिश (आकर्षण) है जो आशिक़ को फ़िराक़ (जुदाई), हिज्र…

यादों की धुंध: एक ग़ज़ल

ग़ज़ल “यादों की धुंध” एक गहराई से भरी शायरी है जो मोहब्बत (प्यार) की मासूम जुस्तजू (खोज), जुदाई की सर्दी और यादों की महक को अल्फ़ाज़ों (शब्दों) की शक्ल में…

आँवला की ख़ूबसूरती

आँवला, जिसे भारतीय तिब्ब-ए-यूनानी (यूनानी चिकित्सा) में अमृत फल कहा जाता है, न सिर्फ ज़ायके (स्वाद) में तीखा और खट्टा है, बल्कि इसके सही (सेहत) के मोजिज़ात (स्वास्थ्य चमत्कार) भी बेमिसाल हैं। यह ग़ज़ल आँवले की कुदरती अता की हुई ताक़त (प्राकृतिक शक्ति) और उसके सही (सेहत) पर हैरतअंगेज़…

‘वक़्फ़ का सवाल’: एक दास्तान-ए-हयात

‘‘वक़्फ़ का सवाल’ एक ऐसे गहरे मामले को जन्म देता है जो मात्र धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व तक सीमित नहीं, बल्कि समाज और सियासत के पेचीदा रिश्तों को भी बेनक़ाब…

  • adminadmin
  • May 2, 2025
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बिखरे ख़्वाब, जलते सवाल

“बिखरे ख़्वाब, जलते सवाल” एक दिल से निकली हुई शेरों की कश्ती है, जो ज़िंदगी के समंदर में बहते दर्द, मोहब्बत, तन्हाई, और रिश्तों की हक़ीक़त को अपनी हर मौज…

  • adminadmin
  • April 25, 2025
  • 2 Comments
पंचर वाले: एक ग़ज़ल

यह ग़ज़ल “पंचर वाले” उन्हीं शख़्सीयतों का एहतराम करती है, जिन्होंने अपनी मेहनत और कुर्बानियों से अंधेरों में रोशनी पैदा की। हमारे समाज में ऐसे बे़शुमार लोग हैं जिन्होंने अपनी…

“मोहब्बत और ज़िंदगी: एक ग़ज़ल की तहरीर”

Author: “क़बीर ख़ान” Date: “2025-04-25” मोहब्बत और ज़िंदगी: एक ग़ज़ल की तहरीर मोहब्बत की ताज़गी लाज़िम है ज़िंदगी के लिए, मगर चंद सिक्कों की गर्मी भी है रवानगी के लिए।…

ज़ुल्म की वीरानी

ज़ुल्म की वीरानी पर ग़ज़ल – ग़ज़ल: “ज़ुल्म की वीरानी को ग़म-ए-दिलख्वे ना दे” ज़न्नत-ए-कश्मीर को ज़ुल्म-ए-सियाह का सितम-ए-सहे ना दे, बेगुनाहों के ख़ून से फ़र्द-ए-ख़ुदा को ग़म-ए-दिलख्वे ना दे।…

फ़िलस्तीन के दर्द पर ग़ज़ल “मैं फ़िलस्तीन हूँ”

फ़िलस्तीन के दर्द पर ग़ज़ल “मैं फ़िलस्तीन हूँ” यह मेरी ज़मीन है, यह मेरी ज़मीन है,हर दर्द की कहानी, मैं फ़िलस्तीन हूँ। मैं फ़िलस्तीन हूँ, मैं फ़िलस्तीन हूँ।” नक़्शे में…

वक़्फ़ क़ानून 1995 बनाम वक़्फ़ संशोधन क़ानून 2025

तआऱुफ़ (Introduction) : वक़्फ़ एक ऐसा निज़ाम है जो सदीयों से मुस्लिम समाज में मआशी (आर्थिक) और समाजी (सामाजिक) फ़लाह-ओ-बहबूदी के लिए बुनियादी किरदार अदा करता चला आ रहा है।…

ग़ुल्फ़िशां के नाम एक ग़ज़ल

ग़ज़ल — ग़ुल्फ़िशां के नाम ग़ुल्फ़िशां की सदा को कैद कर बैठे हैं लोग, हक़ की आवाज़ को बग़ावत समझ बैठे हैं लोग। -1 वो जो ज़ुल्मों से लड़ी, सब्र…