यह ग़ज़ल “जुदाई का मौसम” इश्क़ की उस सच्ची और गहराई से भरी तहरीर है जो जुदाई के आलम में लिखी गई है। हर शेर में एक ऐसी कसक, एक ऐसी टीस महसूस होती है जो महबूब की यादों से जुड़ी है। मोहब्बत की हर परछाईं, हर आवाज़, हर महक इस ग़ज़ल के हर मिसरे में साँस लेती नज़र आती है। तन्हाई, जुदाई, और बेकरारी का ऐसा ख़ूबसूरत इज़हार इस ग़ज़ल को दिलों से जोड़ देता है। “क़बीर” की कलम से निकले ये अशआर मोहब्बत की रूह को छूते हैं और हर आशिक़ के दिल का दर्द बयां करते हैं।

इस ग़ज़ल में यादों की वो बारिकियाँ हैं जो अक्सर तन्हा लम्हों में दिल को बेहाल कर देती हैं। हर शेर एक एहसास है, एक तस्वीर है उस पल की जब दिल ने सिर्फ महबूब को महसूस किया। चाहे वो मुस्कुराहट हो, ख़ामोशी हो या अधूरे वादे—हर बात इस ग़ज़ल में एक ताजगी के साथ सामने आती है। यह तहरीर न सिर्फ मोहब्बत की सादगी को दर्शाती है बल्कि उस दर्द को भी बयान करती है जो जुदाई के हर लम्हे में सांस लेता है। “तेरी जुदाई का मौसम” एक ऐसा जज़्बाती सफ़र है जो दिल से होकर रूह तक पहुँचता है।

ग़ज़ल: “जुदाई का मौसम”

मतला:
दिल से निकली जो आह तुझको सोच कर
सांस भी थम सी गई बेवजह तुझको सोच कर।-1

तेरी यादों की परछाईं लिपट गई मुझसे,
रात भर जागता रहा तुझको सोच कर।-2

तेरी मुस्कान का जादू अब भी है दिल में,
आँखें भीग जाती हैं हर दफ़ा तुझको सोच कर।-3

तेरी आवाज़ की लहरें अब भी हैं कानों में,
दिल धड़कना भूल जाता है तुझको सोच कर।-4

तेरी बातों की मिठास अब भी है लबों पर,
खुद से भी रूठ जाता हूँ अक्सर तुझको सोच कर।-5

तेरी राहों में बिछे थे जो ख्वाब कभी,
वो बिखर जाते हैं हर दफा तुझको सोच कर।-6

तेरी तसवीर को सीने से लगाए बैठा हूँ,
आँसू बहते हैं चुपचाप तुझको सोच कर।-7

तेरी जुदाई का मौसम बहुत भारी है आज,
दिल भी रो पड़ता है बारहा तुझको सोच कर।-8

तेरी महक से महकती है अब भी ये फिज़ा,
हर सांस में घुट जाता हूँ तुझको सोच कर।-9

तेरी खामोशी में भी थी एक मोहब्बत छुपी,
आज भी तन्हा हो जाता हूँ तुझको सोच कर।-10

तेरे वादों का असर अब तक है दिल पर,
हर उम्मीद टूट जाती है तुझको सोच कर।-11

तेरी गलियों से गुजरता हूँ जब भी,
रास्ते भी रो पड़ते हैं तुझको सोच कर।-12

तेरी खुशबू से महकती थी मेरी दुनिया,
अब वीरान हो गई है तुझको सोच कर।-13

मक़ता:

तेरी मोहब्बत में’क़बीर’ अब भी है तन्हा,
हर खुशी भी अधूरी लगे तुझको सोच कर।-14

उर्दू शब्दों के अर्थ:

आह = दर्द भरी साँस | बेवजह = बिना कारण | परछाईं = छाया | जादू = मोहिनी शक्ति |दफा = बार | जुदाई = बिछड़ना | मौसम = समय, वक्त | रूठ जाना = नाराज़ होना |तसवीर = चित्र | सीना = छाती | खामोशी = चुप्पी | फिज़ा = वातावरण |महकना = खुशबू फैलाना | चादर = कंबल, ओढ़ने की चीज़ | वादे = वचन |असर = प्रभाव | उम्मीद = आशा | ख्वाब = सपना | गुज़रना = निकलना |वीरान = सूना | जादू = मंत्र शक्ति | दुआ = प्रार्थना | कसक = टीस, चुभन |तन्हा = अकेला बारहा=बार-बार, कई दफ़ा