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तआर्रुफ़:

ग़ज़ल “माँ के क़दमों तले जन्नत” एक जज़्बाती और असरदार पेशकश है, जो माँ के रिश्ते की पाकीज़गी और अहमियत को बयां करती है। इस ग़ज़ल में माँ की ममता, उसकी दुआओं का असर, उसके आँचल की ठंडक, और उसकी गैर-मशरूत मोहब्बत को शायरी के लफ़्ज़ों में ढाला गया है। हर शेर एक एहसास है, जो पाठक को उनकी अपनी माँ की याद दिला देता है। यह ग़ज़ल ना सिर्फ़ एक बेटे के दर्द को उजागर करती है बल्कि माँ के जाने के बाद की ख़ाली दुनिया का भी हक़ीक़तपसंद तसव्वुर देती है। ‘कबीर’ की कलम से निकली ये ग़ज़ल हर उस दिल से जुड़ती है जो माँ को अपनी जन्नत समझता है और उसके बिना अधूरा महसूस करता है।

ग़ज़ल का नाम: “माँ के क़दमों तले जन्नत”

मतला:
सबको मालूम है जन्नत है माँ के पाँव तले,
करो फ़ैसला कौन महरूम रहे किसको मिले।

सर्द रातों की नमी क्या भुला पाओगे,
देख लो कहीं अँधेरा तो नहीं चिराग़ तले।-1

मार कर थप्पड़ जो रो देती थी कभी,
उसका हो जा फिर ख़्वाबों तक में मिले न मिले।-2

तुझे क्या याद हैं नर्म हाथों से खिलाए लुक़्मे,
कुछ कर ले अभी, फिर चाहत चले न चले।-3

तू जो है उसकी दुआओं का असर ही है,
हाज़िरी दे ले फिर सुकून-ए-दिल, मिले न मिले।-4

याद तो आता होगा नामुरादी पर सर सहला देना उसका,
अब जीत पर भी आराम-ए-जां मिले न मिले।-5

ख़ताओं पे भी जो दुआ देती थी छुप-छुप कर,
अब सज़ा भी लगे जैसे कोई क़िस्मत जला दे मुझे।-6

जो कह दे ‘ठीक है बेटा’, तो मर्ज़ हल हो जाए,
अब दवा भी बेअसर हो, तो ग़म चले न चले।-7

सीने से लगाकर ‘मैं हूँ न’ कहना उसका ,
वो खौफ़ भी सहम गया, लम्हें भी चले न चले।-8

चंद अश्कों में समेटे हैं जो दुनिया भर की थकन,
उसकी नज़र ने हर इक दर्द पढ़ा, कोई पढ़े न पढ़े।-9

थम गई ज़िन्दगी माँ का दामन छूटने के बाद,
सारा जहाँ फिसल गया अब अपने क़दमों तले न तले।-10

मक़ता :
कभी माँ को देखने को तरसेगा तू ‘कबीर’,
कब्र पर फूल हों पर वो खुद मिले न मिले।

ख़त्मा:

ग़ज़ल “माँ के क़दमों तले जन्नत” सिर्फ़ शेरों की एक तस्नीफ़ नहीं, बल्कि एक एहसास है — उस ममता का, उस दुआ का, जो बिना शर्त मिलती है सिर्फ़ माँ से। कबीर की ये पेशकश उन जज़्बातों की तर्जुमानी करती है जो अक्सर अल्फ़ाज़ में नहीं ढलते। ये ग़ज़ल हर उस दिल के लिए है जो माँ को सिर्फ़ एक रिश्ता नहीं, बल्कि अपने वजूद की वजह मानता है। माँ के जाने के बाद की ख़ामोशियाँ, अधूरी जीतें और बेअसर दवाएँ — सब इस ग़ज़ल में अपना अक्स छोड़ती हैं। उम्मीद है कि यह ग़ज़ल माँ से जुड़े हर दिल को छुएगी, और एक दुआ बनकर हमेशा साथ रहेगी।

उर्दू शब्द — सरल हिंदी अर्थ:

ग़ज़ल — शायरी की एक विधा, जज़्बाती — भावुक, असरदार — प्रभावशाली, पाकीज़गी — पवित्रता, अहमियत — महत्त्व, बयां — बयान/व्यक्त करना, ममता — माँ का प्यार, दुआ — आशीर्वाद, गैर-मशरूत — बिना शर्त, लफ़्ज़ — शब्द, एहसास — भावना, हक़ीक़तपसंद — सच्चाई को दर्शाने वाला, तसव्वुर — कल्पना/सोच, महरूम — वंचित/जिसे कुछ न मिला हो, चिराग़ — दीपक, लुक़्मा — निवाला/खाने का टुकड़ा, सुकून-ए-दिल — दिल का सुकून, नामुरादी — निराशा/असफलता, आराम-ए-जां — आत्मा की राहत, ख़ताओं — ग़लतियाँ, क़िस्मत — भाग्य, मर्ज़ — बीमारी, ग़म — दुख, अश्क़ — आँसू, नज़र — नज़रिया या देखने की शक्ति, मक़ता — ग़ज़ल का आखिरी शेर जिसमें शायर का नाम होता है, तस्नीफ़ — रचना, तर्जुमानी — प्रतिनिधित्व/बयान करना, अल्फ़ाज़ — शब्द, वजूद — अस्तित्व, ख़ामोशियाँ — चुप्पियाँ, अक्स — प्रतिबिंब/झलक