यह ग़ज़ल “राहगुज़र-ए-इश्क़” एक रूहानी (आध्यात्मिक) सफ़र को बयान करती है, जहाँ इश्क़ (प्रेम) सिर्फ एक जज़्बा (भावना) नहीं बल्कि एक कशिश (आकर्षण) है जो आशिक़ को फ़िराक़ (जुदाई), हिज्र (वियोग) और ग़म (दुख) की राहों से गुज़ारती है। मतला से लेकर मक़ता तक हर शेर में एक गहरी एहसासाती (भावनात्मक) परत है, जो इश्क़ की ख़ामोश सदा (आवाज़) को बयान करती है। इस ग़ज़ल में नज़रों की शोख़ियाँ (चंचलता), लबों की ख़ामुशी, अश्क़ों की बारिश और यादों की गर्द-ए-फ़लक (आसमान की गर्द) के ज़रिए एक टूटे हुए दिल की पूरी कहानी बयां की गई है।

शायर ने “राहगुज़र-ए-इश्क़” में ज़िंदगी की तल्ख़ियों (कड़वाहटों) और मुहब्बत की ख़ुशबुओं को इतने नफ़ीस (कोमल) अंदाज़ में पिरोया है कि हर मिसरा (पंक्ति) एक जुदा दर्द और सुकून की दास्तान बन जाता है।

ग़ज़ल: “राहगुज़र-ए-इश्क़”

मतला-

नज़रों की शोख़ियों में था जादू-ए-हलक़
हम डूबते गए तेरी आँखों की चमक तलक।-1

लबों की ख़ामुशी से मिली जुर्म की सज़ा
पहुंची न बात दिल की सदा-ए-हक़ तलक।-2

तेरे फ़िराक़ में थी जो शब की तन्हाई
बढ़ती रही है दर्द की शाम-ए-चमक तलक।-3

इश्क़ की रहगुज़र थी वो ग़म की मंज़िल
हम चलते रहे याद की गर्द-ए-फ़लक तलक।-4

ख़्वाबों की नगरी में थी तस्लीम की तलाश
मिलती रही हिज्र की ख़ामोश धमक तलक।-5

अश्क़ों की बारिशों में थी गर्दिश-ए-नसीब
पलकों ने ढोई दर्द की नम सी झलक तलक।-6

तेरे लबों की बात थी जैसे कोई नज़्म
गूंजा वो मेरे दिल की हर एक धड़क तलक।-7

रूहानी इश्क़ का था वो पहला सबक़
सीखा जिसे नसीब की दीवार-ए-शक तलक।-8

जुल्फ़ों के साया-ए-सुकून में था क़फ़स
उड़ते न बन सके हम हवाओं की कसक तलक।-9

तस्वीर-ए-यार में जो थी बेरूख़ी की लकीर
गहराई बन गई दिल की हर इक दरक तलक।-10

ग़म की ज़बां में थी वफ़ा की आख़िरी लफ़्ज़
टूटे रहे हसीं लम्हों की महक तलक।-11

संदल की ख़ुशबू में थी यादों की रवानी
महसूस होती रही एक पुरानी चिट्ठी की नक़ तलक।-12

बंदिश थी हर तरफ़ मगर चाहतें थीं तेज़
उम्मीद भागती रही जंजीर की झनक तलक।-13

क़िस्सा-ए-ग़म में रह गई इक अधूरी बात
लिखते रहे ग़ज़ल हम तिरा नाम-ए-तरक़ तलक।-14

मक़ता:
‘क़बीर’ की सोच में था बस तेरा ही अक्स
रहते रहे तिरे इश्क़ की हर एक शक्ल तलक।-15

उर्दू शब्दों के अर्थ:
हलक़ – गला, जादू-ए-हलक़ – गले का जादू, आकर्षण, शोख़ियाँ – चंचलता, आकर्षक बातें, ज़ुर्म – अपराध, सज़ा – दंड, सदा-ए-हक़ – सच की आवाज़, फ़िराक़ – जुदाई, तन्हाई – अकेलापन, शाम-ए-चमक – चमकते हुए दर्द की रात, राहगुज़र – रास्ता, ग़म – दुःख, मंज़िल – लक्ष्य, गर्द-ए-फ़लक – आकाश की धूल, तस्लीम – स्वीकार करना, हिज्र – जुदाई, ख़ामोश धमक – चुप ध्वनि, अश्क़ – आंसू, गर्दिश-ए-नसीब – किस्मत की उलट-पुलट, नम सी झलक – हल्की सी झलक, नज़्म – कविता, धड़क – धड़कन, रूहानी – आत्मिक, सबक़ – पाठ, नसीब – किस्मत, दीवार-ए-शक – शक की दीवार, ज़ुल्फ़ों – बाल (महिलाओं के), साया-ए-सुकून – शांति की छांव, क़फ़स – पिंजरा, हवाओं की कसक – हवा की तड़प, तस्वीर-ए-यार – प्रेमिका की छवि, बेरूख़ी – उदासी, लकीर – रेखा, गहराई – गहराई, दरक – दरार, वफ़ा – निष्ठा, लफ़्ज़ – शब्द, महक – खुशबू, मौका – अवसर, झलक – आभास, संदल – चंदन, रवानी – प्रवाह, चिट्ठी की नक़ – पत्र की नकल, बंदिश – प्रतिबंध, चाहतें – इच्छाएँ, झनक – खनक, जंजीर – जंजीर, क़िस्सा-ए-ग़म – दुःख की कहानी, तरक़ – विकास, अक्स – छाया, शक्ल – रूप, इश्क़ – प्रेम।