वक़्फ़ बोर्ड का मुस्लिम समाज में योगदान: तालीम , सेहत और समाज कल्याण

Author: Er. Kabir Khan B.E.(Civil Engg.) LLB, LLM

परिचय:

वक़्फ़ बोर्ड मुस्लिम समाज के कल्याण और विकास में एक महत्वपूर्ण संस्था है, जिसका उद्देश्य समुदाय की शैक्षिक, स्वास्थ्य, और सामाजिक जरूरतों को पूरा करना है। वक़्फ़ संपत्तियों का प्रबंधन और उनका सही उपयोग मुस्लिम समाज के लाभ के लिए किया जाता है। वक़्फ़ संपत्तियाँ, जिनमें जमीन, इमारतें, और अन्य संसाधन शामिल हैं, का उपयोग शैक्षिक संस्थानों, अस्पतालों, और समाज कल्याणकारी योजनाओं के लिए किया जाता है।

वक़्फ़ बोर्ड का मुख्य उद्देश्य गरीब और जरूरतमंद लोगों को सहायता प्रदान करना है, ताकि वे बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएँ, और सामाजिक सुरक्षा प्राप्त कर सकें। यह संस्था न केवल आर्थिक मदद प्रदान करती है, बल्कि मुस्लिम समाज के सांस्कृतिक और सामुदायिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके माध्यम से संचालित योजनाएँ मुस्लिम समाज के उन वर्गों को सशक्त बनाती हैं, जो समाज की मुख्यधारा से पीछे छूट गए हैं।

इस संस्था का महत्व केवल धार्मिक संपत्तियों के प्रबंधन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज के व्यापक कल्याण में भी योगदान देती है।

वक़्फ़ बोर्ड की तारीख़ी अहमियत और मक़सद क्या हैं ?

इसकी तारीख़ी अहमियत और मक़सद को विस्तार से समझने के लिए हमें इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और उद्देश्य पर ध्यान देना होगा, जो इस्लामी समाज में विशेष महत्व रखते हैं। वक़्फ़ (عقاف) एक अरबी शब्द है, जिसका अर्थ है किसी संपत्ति को दान कर देना ताकि उसे धार्मिक, सामाजिक, और परोपकारी कार्यों के लिए स्थायी रूप से उपयोग में लाया जा सके।

वक़्फ़ बोर्ड की तारीख़ी अहमियत :

इसकी परंपरा इस्लाम के प्रारंभिक दिनों से जुड़ी है। इस्लामिक इतिहास में वक़्फ़ का ज़िक्र पैगंबर मुहम्मद (S.A.W) के दौर से मिलता है। पैगंबर मुहम्मद (S.A.W) ने खुद वक़्फ़ की स्थापना का निर्देश दिया, जब उन्होंने और उनके साथियों ने सार्वजनिक भलाई के लिए अपनी संपत्तियों को स्थायी रूप से दान किया। इसमें मस्जिदों, पानी के कुओं, और अस्पतालों का निर्माण शामिल था। वक़्फ़ संपत्ति को धार्मिक और परोपकारी उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल करने की यह परंपरा मुस्लिम समाज में व्यापक रूप से फैली, और इसका उद्देश्य मुस्लिम समुदाय के सामाजिक और आर्थिक उत्थान में मदद करना था।

 मुगल शासनकाल में वक़्फ़ का महत्व और बढ़ गया। कई मस्जिदें, मक़बरें, और दरगाहें वक़्फ़ संपत्तियों के रूप में स्थापित की गईं। ब्रिटिश शासन के दौरान भी वक़्फ़ संपत्तियों का प्रबंधन जारी रहा, लेकिन 19वीं शताब्दी में वक़्फ़ संपत्तियों के दुरुपयोग और विवाद बढ़ने लगे। इसको ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार ने वक़्फ़ अधिनियम 1923 और बाद में वक़्फ़ अधिनियम 1954 पारित किया, जो कि 1995 में संशोधित हुआ। इस अधिनियम के तहत वक़्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन के लिए वक़्फ़ बोर्ड का गठन किया गया, ताकि इन संपत्तियों का सही उपयोग हो सके और मुस्लिम समाज के हित में इनका संरक्षण किया जा सके।

वक़्फ़ बोर्ड के उद्देश्य :

शिक्षा का प्रसार (Promotion of Education):

वक़्फ़ बोर्ड का प्रमुख उद्देश्य मुस्लिम समाज में शिक्षा का प्रसार करना है। वक़्फ़ संपत्तियों का उपयोग करके स्कूल, कॉलेज, मदरसे, और विश्वविद्यालय स्थापित किए जाते हैं। ये संस्थान विशेष रूप से उन लोगों को शैक्षिक अवसर प्रदान करते हैं, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं। कई वक़्फ़ बोर्ड छात्रवृत्तियाँ भी प्रदान करते हैं, ताकि जरूरतमंद छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिल सके।

स्वास्थ्य सेवाएँ (Healthcare Services):

वक़्फ़ बोर्ड की संपत्तियों का उपयोग अस्पतालों और चिकित्सा केंद्रों के निर्माण के लिए किया जाता है। इन चिकित्सा केंद्रों में गरीब और जरूरतमंद लोगों को मुफ्त या सस्ती चिकित्सा सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं। इसके अलावा, कुछ वक़्फ़ अस्पतालों में विशेष उपचार भी प्रदान किया जाता है। इन सुविधाओं से मुस्लिम समाज के निचले तबके के लोग विशेष रूप से लाभान्वित होते हैं।

समाज कल्याण (Social Welfare):

वक़्फ़ बोर्ड के तहत संचालित समाज कल्याण कार्यक्रमों में अनाथों के लिए यतीमखाने, विधवाओं के लिए सहायता केंद्र, और बुजुर्गों के लिए वृद्धाश्रम शामिल हैं। इसके साथ ही, गरीबों के लिए भोजन वितरण और रोज़गार के अवसर भी वक़्फ़ संपत्तियों के माध्यम से प्रदान किए जाते हैं। ये सभी योजनाएँ समाज के निचले वर्गों के जीवनस्तर को सुधारने में मदद करती हैं।

धार्मिक स्थलों का संरक्षण (Preservation of Religious Sites):

वक़्फ़ बोर्ड का एक और प्रमुख उद्देश्य मस्जिदों, दरगाहों, और अन्य धार्मिक स्थलों का संरक्षण और रखरखाव करना है। वक़्फ़ बोर्ड यह सुनिश्चित करता है कि इन स्थलों का उपयोग धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए हो और उनका दुरुपयोग न हो। इसके अलावा, वक़्फ़ संपत्तियों का पुनरुद्धार और संरक्षण मुस्लिम समुदाय की धार्मिक पहचान को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

सामाजिक और सांस्कृतिक विकास (Cultural and Social Development):

वक़्फ़ बोर्ड सामुदायिक भवनों, सभागारों, और सांस्कृतिक केंद्रों का निर्माण करके समाज में सांस्कृतिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देता है। इन स्थलों का उपयोग सामूहिक समारोहों, सभाओं, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए किया जाता है। इससे मुस्लिम समाज में एकता और सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने में मदद मिलती है।

वक़्फ़ संपत्तियों का पुनर्विकास और प्रबंधन :

इन संपत्तियों का सही प्रबंधन वक़्फ़ बोर्ड की एक बड़ी जिम्मेदारी है। कई बार इन संपत्तियों पर अवैध कब्जे होते हैं, या इन्हें सही तरीके से उपयोग नहीं किया जाता। वक़्फ़ बोर्ड इस संपत्ति का पुनर्विकास कर इसे समाज के लाभ में लाता है। इसमें धार्मिक, शैक्षिक, और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए उपयोग किए जाने वाले स्थानों का विकास शामिल है।

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 क्या है ?

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को 08.08.2024 को लोकसभा में पेश किया गया और इसे पेश करते समय, विधेयक के प्रभारी मंत्री ने इसे दोनों सदनों की एक संयुक्त समिति को सौंपने का प्रस्ताव रखा। इसके बाद, 09.08.2024 को दोनों सदनों द्वारा अलग-अलग प्रस्तावों को अपनाते हुए, इस विधेयक को संयुक्त समिति को भेजा गया जिसमें लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सदस्य शामिल हैं। इस समिति को यह विधेयक जांचने और अपनी रिपोर्ट संसद को अगले सत्र के पहले सप्ताह के अंतिम दिन (यानी, शीतकालीन सत्र, 2024) तक प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी दी गई।

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 के लिए संयुक्त समिति की संरचना को 13.08.2024 को बुलेटिन पार्ट- II नंबर 794 में प्रकाशित किया गया था और माननीय अध्यक्ष ने श्री जगदंबिका पाल, सांसद, लोकसभा को संयुक्त समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया।

विधेयक के उद्देश्यों और कारणों के विवरण के अनुसार, इसमें निम्नलिखित प्रावधान शामिल हैं:

(a) वक़्फ़ एक्ट, 1995 का नाम बदल कर मुश्तरका मैनेजमेंट, एमपॉवरमेन्ट, एफिशियंसी  एंड  प्रोग्रेस एक्ट 1995 रखने का प्रस्ताव है।

(b) “वक्फ” को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना, जो किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा हो जो कम से कम पांच वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहा हो और उसकी उस संपत्ति पर स्वामित्व हो;

(c) यह सुनिश्चित करना कि वक्फ-अल-आल-औलाद की स्थापना से महिलाओं के उत्तराधिकार के अधिकारों से वंचित न किया जाए;

NOTE: “वक्फ-अल-आल-औलाद” एक इस्लामी धारणा है जिसका अर्थ है वह वक्फ (दान) जो किसी व्यक्ति के अपने परिवार के लिए किया जाता है। इसे आमतौर पर इस तरह से स्थापित किया जाता है कि इसका लाभ केवल दानकर्ता के वंशजों को मिले।

(d) “उपयोग द्वारा वक्फ” से संबंधित प्रावधानों को हटाना;

NOTE: उपयोग द्वारा वक्फ” से संबंधित प्रावधानों को हटाना का अर्थ है कि उन नियमों और कानूनों को समाप्त करना, जो किसी संपत्ति या संसाधन के उपयोग के आधार पर वक्फ की स्थापना से जुड़े थे।

(e) वक्फ संपत्तियों का सर्वेक्षण करने के लिए सर्वेक्षण आयुक्त के कार्यों को कलेक्टर या कलेक्टर द्वारा नामित किसी भी उप-कलक्टर के पद से नीचे नहीं होने वाले अधिकारी को देना;

(f) सेन्ट्रल वक़्फ़ कौंसिल और रियासती बोर्ड की तशकील को  वसीह करना और मुस्लिम ख़्वातीन व गैर-मुस्लिम समुदायों को बतौर मेंबर शामिल करना;

(g) बोहरा और आगा खानी समुदायों के लिए अलग से औकाफ बोर्ड की स्थापना का प्रावधान करना;

(h) मुस्लिम समुदायों में शिया, सुन्नी, बोहरा, आगा खानी और अन्य पिछड़े वर्गों के प्रतिनिधित्व का प्रावधान करना;

(i)  एक मरकज़ी पोर्टल और डेटाबेस  के जरिए वक़्फ़ की रजिस्ट्रेशन के अमल को आसान और हमवार करना ;

(j) किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज करने से पहले सभी संबंधित लोगों को उचित नोटिस देकर राजस्व कानूनों के अनुसार म्यूटेशन की विस्तृत प्रक्रिया का प्रावधान करना;

(k) बोर्ड को यह निर्णय लेने का अधिकार देने वाली धारा 40 को हटाना कि कोई संपत्ति वक्फ संपत्ति है या नहीं;

NOTE: धारा 40 

इस धारा के तहत, वक्फ बोर्ड को यह शक्ति प्रदान की गई है कि वह तय कर सके कि कोई संपत्ति वक्फ संपत्ति के रूप में मान्य है या नहीं। इस धारा के अनुसार, बोर्ड को इस संपत्ति की वक्फ स्थिति का मूल्यांकन और निर्णय लेने का अधिकार प्राप्त है।”

इसमें धारा 40 में दिए गए अधिकारों को हटाने का मतलब है कि बोर्ड को अब इस प्रकार के निर्णय लेने का अधिकार नहीं रहेगा। यह निर्णय अन्य कानूनी प्रक्रियाओं के माध्यम से किया जाएगा या नई धारा में वर्णित प्रक्रिया के अनुसार होगा।

(l) प्रत्येक वक्फ के मुतवल्ली द्वारा बोर्ड को देय वार्षिक योगदान को सात प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत करना, जिनकी शुद्ध वार्षिक आय पांच हजार रुपये से कम न हो;

(m) मुतवल्लियों द्वारा वक्फ के खातों को केंद्रीय पोर्टल के माध्यम से बोर्ड को दाखिल करने का प्रावधान करना ताकि उनकी गतिविधियों पर बेहतर नियंत्रण रखा जा सके;

(n) दो सदस्यों के साथ ट्रिब्यूनल संरचना में सुधार करना और ट्रिब्यूनल के आदेशों के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील का प्रावधान करना, जो निर्धारित अवधि नब्बे दिनों के भीतर होनी चाहिए;

(o) धारा 107 को हटाना ताकि इस अधिनियम के तहत किसी भी कार्रवाई पर सीमितीकरण अधिनियम, 1963 लागू हो सके; और धारा 108 और 108A को हटाना, जो विशेष प्रावधानों से संबंधित हैं जैसे कि शरणार्थी वक्फ संपत्तियां और अधिनियम को वरीयता देना।

NOTE: धारा 107, 108, और 108A-

धारा 107, 108, और 108A को हिंदी में सरल रूप में और उदाहरण के साथ समझाया गया है:

धारा 107: “धारा 107 के तहत, शरणार्थी वक्फ संपत्तियों के लिए विशेष नियम होते हैं। इसका मतलब है कि उन संपत्तियों के लिए अलग से नियम और प्रावधान बनाए जाते हैं जिन्हें शरणार्थी वक्फ संपत्ति के रूप में मान्यता दी जाती है। उदाहरण के लिए, यदि कोई संपत्ति शरणार्थियों के लिए वक्फ की गई है, तो उसके प्रबंधन और उपयोग के लिए खास नियम लागू होते हैं।”

Section (धारा ) 108: “धारा 108 के अनुसार, वक्फ अधिनियम को अन्य कानूनों की तुलना में प्राथमिकता दी जाती है। इसका मतलब है कि वक्फ से संबंधित मामलों में इस अधिनियम की बातें सबसे पहले माननी होंगी। उदाहरण के लिए, अगर वक्फ के नियम और किसी अन्य कानून के नियम में मतभेद है, तो वक्फ अधिनियम के नियम अधिक महत्वपूर्ण माने जाएंगे।”

धारा 108A: “धारा 108A में शरणार्थी वक्फ संपत्तियों के लिए विशेष नियम दिए गए हैं। इसमें बताया गया है कि इन संपत्तियों का प्रबंधन कैसे किया जाएगा। उदाहरण के लिए, अगर किसी शरणार्थी के लिए वक्फ संपत्ति है, तो इसके रख-रखाव और प्रबंधन के लिए विशेष नियम और निर्देश होते हैं।”

इन धाराओं को हटाने का मतलब है कि वक्फ मामलों में सामान्य कानूनों की प्रक्रिया अपनाई जाएगी, और शरणार्थी वक्फ संपत्तियों के लिए विशेष नियम नहीं रहेंगे। इससे वक्फ मामलों का प्रबंधन सामान्य तरीके से होगा।

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 की मुख्य बिंदु क्या हैं ?

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 की मुख्य बिंदु :

1. वक्फ अधिनियम, 1995 का नया नाम:

वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम बदलकर “एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995” रखा गया है। इसका उद्देश्य वक्फ बोर्ड और संपत्तियों के प्रबंधन और दक्षता को सुधारना है, साथ ही सशक्तिकरण और विकास को भी बढ़ावा देना है।

2. वक्फ की स्थापना:

विधेयक के अनुसार, वक्फ निम्नलिखित तरीकों से स्थापित किया जा सकता है:

  • घोषणा के द्वारा: केवल वही व्यक्ति वक्फ की घोषणा कर सकता है जो इस्लाम का पालन करता हो और संपत्ति का मालिक हो।
  • उपयोग के आधार पर: वक्फ द्वारा उपयोग को हटा दिया गया है, जिसमें संपत्तियाँ लंबे समय तक धार्मिक उपयोग के आधार पर वक्फ मानी जाती थीं।
  • वक्फ-अल-आल-औलाद: वक्फ को इस तरह से स्थापित किया जाता है कि यह महिला वारिसों के अधिकारों का हनन न करे।

3. सरकारी संपत्तियाँ वक्फ के रूप में:

यदि कोई सरकारी संपत्ति वक्फ के रूप में पहचानी जाती है, तो वह अब वक्फ नहीं मानी जाएगी। क्षेत्र के कलेक्टर स्वामित्व तय करेंगे और रिपोर्ट राज्य सरकार को देंगे। अगर यह सरकारी संपत्ति मानी जाती है, तो राजस्व रिकॉर्ड अपडेट किए जाएंगे।

4. वक्फ बोर्ड की शक्तियाँ:

वक्फ बोर्ड को अब संपत्ति के वक्फ होने का निर्धारण करने का अधिकार नहीं रहेगा। यह प्रावधान हटा दिया गया है।

5. वक्फ की सर्वेक्षण प्रक्रिया:

पहले सर्वे कमीशनर और अतिरिक्त कमीशनर वक्फ का सर्वेक्षण करते थे। अब कलेक्टर को यह कार्य सौंपा जाएगा और सर्वे राज्य राजस्व कानूनों के अनुसार किया जाएगा।

6. केंद्रीय वक्फ परिषद:

केंद्रीय वक्फ परिषद में अब दो गैर-मुस्लिम सदस्य भी होंगे। परिषद के सदस्य पहले केवल मुस्लिम होते थे, लेकिन विधेयक में कहा गया है कि अब सांसद, पूर्व जज, और प्रमुख व्यक्तियों को मुस्लिम होना जरूरी नहीं है। परिषद में मुस्लिम सदस्यों में से दो महिलाएं भी होनी चाहिए।

7. वक्फ बोर्ड:

राज्य सरकार को अब बोर्ड के लिए एक-एक व्यक्ति को नामित करने का अधिकार होगा। ये व्यक्ति मुस्लिम नहीं भी हो सकते हैं। बोर्ड में दो गैर-मुस्लिम सदस्य, शिया, सुन्नी, और पिछड़ी जातियों के मुसलमानों से एक-एक सदस्य, और बोहरा तथा आगाखानी समुदायों से एक-एक सदस्य शामिल होना चाहिए। कम से कम दो मुस्लिम सदस्य महिलाओं को होना चाहिए।

8. ट्रिब्यूनल की संरचना:

ट्रिब्यूनल का अध्यक्ष जिला जज या समकक्ष रैंक का होना चाहिए। विधेयक में मुस्लिम कानून और न्यायशास्त्र के जानकार सदस्य को हटा दिया गया है। अब अध्यक्ष जिला कोर्ट के जज और अन्य सदस्य राज्य सरकार के जॉइंट सेक्रेटरी रैंक के अधिकारी होंगे।

9. ट्रिब्यूनल के आदेशों पर अपील:

विधेयक के अनुसार, ट्रिब्यूनल के आदेशों को उच्च न्यायालय में 90 दिनों के भीतर अपील की जा सकती है। पहले, ट्रिब्यूनल के आदेश अंतिम होते थे और अपील की अनुमति नहीं थी।

10. केंद्रीय सरकार की शक्तियाँ:

केंद्रीय सरकार को वक्फ के पंजीकरण, वक्फ के खातों के प्रकाशन, और वक्फ बोर्ड की कार्यवाहियों के प्रकाशन पर नियम बनाने का अधिकार मिलेगा। पहले राज्य सरकार को इनका ऑडिट करवाने का अधिकार था, अब केंद्रीय सरकार इसे CAG या नामित अधिकारी से ऑडिट करवा सकेगी।

11. बोहरा और आगाखानी के लिए वक्फ बोर्ड:

विधेयक के अनुसार, अगर शिया वक्फ संपत्तियाँ या उनकी आय 15% से अधिक हैं, तो अलग वक्फ बोर्ड स्थापित किया जा सकता है। इसके अलावा, आगाखानी और बोहरा समुदायों के लिए भी अलग वक्फ बोर्ड की स्थापना की जा सकती है।

वक़्फ़ बोर्ड की चुनौतियाँ क्या हैं ?

 चुनौतियाँ और वक़्फ़ बोर्ड

वक़्फ़ बोर्ड को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जो उसके कार्यों और उद्देश्यों को प्रभावित कर सकती हैं।

ये चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं:

1. वित्तीय सीमाएँ

वक़्फ़ संपत्तियों का प्रबंधन करने के लिए पर्याप्त धन की आवश्यकता होती है। कई बार, बोर्ड को सीमित वित्तीय संसाधनों का सामना करना पड़ता है, जिससे विकासात्मक परियोजनाएँ और कल्याणकारी कार्यक्रम प्रभावित होते हैं।

2. संपत्तियों की सुरक्षा

वक़्फ़ संपत्तियों की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती है। कई बार, संपत्तियों का अवैध कब्जा, बेचने या हस्तांतरित करने की कोशिश की जाती है, जिससे वक़्फ़ बोर्ड की योजनाएँ बाधित होती हैं।

3. जागरूकता की कमी

कई समुदायों में वक़्फ़ की अवधारणा और इसके लाभों के बारे में जागरूकता की कमी है। इसके परिणामस्वरूप, लोग वक़्फ़ संपत्तियों का उपयोग नहीं करते या उन्हें सही तरीके से प्रबंधित नहीं करते।

4. प्रबंधन की समस्याएँ

वक़्फ़ बोर्ड के भीतर प्रबंधन की समस्याएँ, जैसे कि भ्रष्टाचार या खराब प्रशासन, भी चुनौती बन सकती हैं। इससे वक़्फ़ संपत्तियों का सही उपयोग नहीं हो पाता और समाज को लाभ नहीं मिल पाता।

5. कानूनी बाधाएँ

कई बार, वक़्फ़ संपत्तियों के संबंध में कानूनी विवाद उत्पन्न होते हैं। यह विवाद समयबद्धता और संसाधनों को बर्बाद करते हैं, जिससे बोर्ड की गतिविधियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

6. सामाजिक विरोधाभास

कुछ जगहों पर, वक़्फ़ बोर्ड की योजनाओं का विरोध किया जाता है। यह सामाजिक तनाव और संघर्ष का कारण बन सकता है, जिससे बोर्ड की प्रभावशीलता कम होती है।

7. तकनीकी नवाचार का अभाव

वर्तमान समय में, तकनीकी नवाचार का अभाव वक़्फ़ बोर्ड की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकता है। यदि वक़्फ़ बोर्ड नई तकनीकों को अपनाने में असफल रहता है, तो वह अपनी सेवाओं को बेहतर बनाने में पीछे रह सकता है।

इसको इन चुनौतियों का सामना करते हुए अपनी गतिविधियों को प्रभावी ढंग से संचालित करना पड़ता है। इन समस्याओं को सुलझाने के लिए योजना बनाना और सामुदायिक सहयोग को बढ़ावा देना आवश्यक है, ताकि वक़्फ़ बोर्ड अपने उद्देश्यों में सफल हो सके और समाज की भलाई के लिए कार्य कर सके।

वक़्फ़ बोर्ड में किन किन सुधारों ज़रूरत है ?

सुधारों की ज़रूरत

वक़्फ़ बोर्ड की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाने के लिए कुछ सुधारों की ज़रूरत है:

1. वित्तीय प्रबंधन में सुधार

वक़्फ़ संपत्तियों का सही तरीके से प्रबंधन करने के लिए एक मजबूत वित्तीय ढाँचा बनाना जरूरी है। इससे पैसे का सही इस्तेमाल होगा और पारदर्शिता बढ़ेगी।

2. संपत्तियों का सही रिकॉर्ड

वक़्फ़ संपत्तियों का सही और अद्यतन रिकॉर्ड रखना ज़रूरी है। इससे संपत्तियों की सुरक्षा बढ़ेगी और उन्हें अच्छी तरह से प्रबंधित किया जा सकेगा।

3. कानूनी ढांचे में बदलाव

वक़्फ़ बोर्ड को कुछ कानूनी बदलावों की आवश्यकता है, ताकि संपत्तियों को बचाया जा सके और प्रबंधन में मदद मिले।

4. जागरूकता और शिक्षा कार्यक्रम

लोगों में वक़्फ़ के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए कार्यक्रम आयोजित करने चाहिए। इससे लोग वक़्फ़ संपत्तियों का सही तरीके से उपयोग कर सकेंगे।

5. तकनीकी नवाचार का उपयोग

नई तकनीकों, जैसे डिजिटल रिकॉर्ड-कीपिंग और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल करना चाहिए। इससे संपत्तियों का प्रबंधन आसान हो जाएगा।

6. पारदर्शिता और जवाबदेही

बोर्ड को अपनी गतिविधियों और पैसे के बारे में जानकारी देनी चाहिए। नियमित रिपोर्टिंग से लोगों का विश्वास बढ़ेगा।

7. सामुदायिक भागीदारी

समाज के लोगों को वक़्फ़ बोर्ड की योजनाओं में शामिल करने की ज़रूरत है। इससे योजनाएँ अधिक प्रभावी और लोगों को पसंद आएंगी।

8. कुशल मानव संसाधन

बोर्ड में अच्छे और प्रशिक्षित कर्मचारियों की ज़रूरत है, जो वक़्फ़ संपत्तियों का सही तरीके से प्रबंधन कर सकें।

इन सुधारों को लागू करने से यह बेहतर तरीके से काम करेगा और मुस्लिम समाज को ज्यादा लाभ मिलेगा। ये सुधार न केवल वक़्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन को सुधारेंगे, बल्कि समाज के कल्याण में भी मदद करेंगे।

हज़रत मुहम्मद (S.A.W) ने वक़्फ़ का तसव्वुर क्यों कायम किया ?

इस्लाम में वक़्फ़ एक ऐसी संपत्ति है, जिसे समाज की भलाई के लिए स्थायी रूप से दान किया जाता है। यह एक धर्मार्थ दान की प्रणाली है, जो इस्लामी समाज के मूल सिद्धांतों, जैसे सामाजिक न्याय, समानता, और भाईचारे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

पैगंबर मुहम्मद (S.A.W) के जीवन में वक़्फ़ की महत्वपूर्ण भूमिका थी। उन्होंने व्यक्तिगत संपत्तियों को समाज के कल्याण के लिए समर्पित करने का निर्देश दिया। उदाहरण के तौर पर, उन्होंने एक बाग़ दान किया जिसे सार्वजनिक भलाई के लिए इस्तेमाल किया गया। यह वक़्फ़ केवल व्यक्तिगत उपयोग के लिए नहीं था, बल्कि एक स्थायी व्यवस्था के रूप में समाज के कमजोर वर्गों को सहायता देने के लिए था।

1. सामाजिक न्याय और समानता का सिद्धांत

पैगंबर (S.A.W) ने वक़्फ़ को इस्लामी न्याय और समानता के सिद्धांतों से जोड़ा। यह इस्लाम का एक प्रमुख सिद्धांत है कि हर व्यक्ति की जरूरतें पूरी की जानी चाहिए, और समाज में कोई भी भूखा, जरूरतमंद, या असहाय न हो। वक़्फ़ की स्थापना इसी उद्देश्य से की गई थी, ताकि समाज के सभी तबकों को लाभ मिल सके।

2.भाईचारे और सहयोग की भावना

वक़्फ़ ने समाज में भाईचारे और सहयोग की भावना को बढ़ावा दिया। हज़रत मुहम्मद (S.A.W) ने वक़्फ़ की स्थापना के माध्यम से समाज में एकता की भावना को मजबूत किया। जब लोग एक-दूसरे की सहायता करते हैं, तो यह आपसी विश्वास और सहयोग को बढ़ाता है।

वक़्फ़ ने उन लोगों के लिए एक सुरक्षा जाल बनाया है, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं। जब धनी लोग अपनी संपत्तियों का वक़्फ़ करते हैं, तो यह सुनिश्चित करता है कि जरूरतमंदों को निरंतर सहायता प्राप्त हो। उदाहरण के लिए, वक़्फ़ के माध्यम से स्थापित अनाथालय, वृद्धाश्रम, और स्वास्थ्य सेवाएँ समाज के सबसे कमजोर वर्गों की मदद करती हैं। इससे यह संदेश मिलता है कि समाज में हर किसी की जिम्मेदारी है कि वह अपने पास मौजूद संसाधनों का उपयोग दूसरों की भलाई के लिए करे।

3. सामुदायिक संरचनाओं का निर्माण

पैगंबर (S.A.W) ने न केवल व्यक्तिगत संपत्तियों को वक़्फ़ के लिए इस्तेमाल किया, बल्कि अपने अनुयायियों को सामुदायिक संरचनाओं के निर्माण के लिए भी प्रेरित किया। मस्जिदों, स्कूलों, और अन्य सार्वजनिक स्थानों को वक़्फ़ के माध्यम से समाज की सेवा के लिए समर्पित किया गया। मस्जिदों को सामाजिक केंद्रों के रूप में भी इस्तेमाल किया गया, जहाँ लोग मिलकर अपनी समस्याओं का समाधान खोज सकते थे।

4. वक़्फ़ वक़्फ़ की बुनियाद

वक़्फ़ एक स्थायी संपत्ति है, जिसका मतलब है कि इसे बेचा नहीं जा सकता और न ही इसे वारिसों को दिया जा सकता है। इसका मुख्य उद्देश्य समाज की भलाई के लिए दीर्घकालिक मदद करना है। यह इस्लाम में संपत्ति के सही इस्तेमाल को बढ़ावा देता है, ताकि जरूरतमंद लोगों को हमेशा सहायता मिल सके। वक़्फ़ के जरिए संपत्ति का उपयोग केवल तात्कालिक लाभ के लिए नहीं होता, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए भी फायदेमंद होता है, जिससे समाज में न्याय और समानता बढ़ती है।

5. वक़्फ़ का सामाजिक प्रभाव

पैगंबर (S.A.W) द्वारा वक़्फ़ की स्थापना ने इस्लामी समाज में सामाजिक न्याय और सहायता के सिद्धांतों को मजबूत किया। यह केवल दान नहीं था, बल्कि एक स्थायी व्यवस्था थी, जिससे जरूरतमंदों को हमेशा सहायता मिलती थी। इससे समाज में एकता और सहयोग की भावना पैदा होती थी।

6. सहाबा का योगदान

पैगंबर मुहम्मद (S.A.W) के अनुयायियों, सहाबा (رضي الله عنهم), ने भी वक़्फ़ को अपनाया। अबू बकर (رضي الله عنه) और उमर (رضي الله عنه) जैसे सहाबा ने अपनी संपत्तियों का एक हिस्सा वक़्फ़ के लिए समर्पित किया। इन उदाहरणों ने वक़्फ़ की अवधारणा को एक महत्वपूर्ण सामाजिक व्यवस्था का हिस्सा बना दिया।

7. पैगंबर (S.A.W) की प्रेरणा से अनुयायियों की भागीदारी

पैगंबर (S.A.W) की पहल से प्रेरित होकर, उनके अनुयायियों ने भी अपनी संपत्तियों को वक़्फ़ किया। उदाहरण के तौर पर, उमर (رضي الله عنه) ने एक बाग़ को वक़्फ़ किया और यह निर्णय लिया कि उसकी उपज से प्राप्त धन गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।

पैगंबर मुहम्मद (S.A.W) का योगदान इस्लामी समाज में वक़्फ़ की अवधारणा को स्थापित करने में अद्वितीय है। उन्होंने न केवल वक़्फ़ की नींव रखी, बल्कि इसे सामाजिक न्याय और समानता के सिद्धांतों से जोड़ा। वक़्फ़ के माध्यम से उन्होंने इस्लामी समाज में एक ऐसा तंत्र विकसित किया, जो आने वाली पीढ़ियों तक समाज की भलाई के लिए कार्य करता रहेगा। पैगंबर (S.A.W) द्वारा स्थापित यह व्यवस्था आज भी कई देशों में वक़्फ़ बोर्डों के रूप में संचालित हो रही है, जो समाज की भलाई के लिए काम करती है।

मुस्लिम समाज की तरक़्क़ी में वक़्फ़ बोर्ड का क्या रोल है ?

मुस्लिम समाज की तरक्की में वक़्फ़ बोर्ड का रोल

यह मुस्लिम समाज की तरक्की में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाता है:

1. शिक्षा का विकास

वक़्फ़ बोर्ड द्वारा स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों की स्थापना की जाती है। ये संस्थान छात्रों को शिक्षा प्रदान करते हैं और उन्हें स्कॉलरशिप और वित्तीय सहायता भी देते हैं, जिससे अधिक से अधिक लोग शिक्षा प्राप्त कर सकें।

2. स्वास्थ्य सेवाएँ

वक़्फ़ बोर्ड अस्पतालों और क्लिनिकों की स्थापना करता है, जहाँ गरीब और जरूरतमंद लोग स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं। यह स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित करता है, जिससे लोगों को उनकी सेहत का ध्यान रखने के लिए प्रेरित किया जाता है।

3. सामाजिक भलाई

वक़्फ़ बोर्ड अनाथालय, वृद्धाश्रम और अन्य सहायता केंद्रों की स्थापना करता है, जिससे समाज के कमजोर वर्गों को सुरक्षा और सहायता मिलती है। यह कार्यक्रम जरूरतमंदों के लिए राशन वितरण और आपातकालीन सहायता भी प्रदान करता है।

4. आर्थिक विकास

वक़्फ़ संपत्तियों का प्रबंधन करके समाज में आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है। ये संपत्तियाँ विभिन्न सामाजिक कार्यक्रमों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं, जिससे समाज में समृद्धि आती है।

5. सांस्कृतिक गतिविधियाँ

वक़्फ़ बोर्ड धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करता है, जिससे मुस्लिम समुदाय में एकता और सहयोग की भावना बढ़ती है। यह कार्यक्रम सामुदायिक संवाद और समझ को भी बढ़ावा देते हैं।

यह मुस्लिम समाज की तरक्की में एक महत्वपूर्ण संस्थान है, जो शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक भलाई, आर्थिक विकास और सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से समाज को मजबूत और समृद्ध बनाने में मदद करता है।

तालीमी मैदान में वक़्फ बोर्ड का क्या योगदान है ?

वक़्फ़ बोर्ड ने तालीमी क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिनका उद्देश्य मुस्लिम समुदाय की शिक्षा को बढ़ावा देना और उन्हें बेहतर अवसर प्रदान करना है। निम्नलिखित उदाहरण और सूची इस योगदान को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेंगे:

. (I) मदरसे और धार्मिक शिक्षा:

यहाँ कुछ प्रमुख मदरसे और धार्मिक शिक्षण संस्थान की सूची दी गई है, जो वक़्फ़ बोर्ड द्वारा संचालित या उनसे जुड़े हुए हैं:

1. जामिया इस्लामिया काशिफुल उलूम, पटना (बिहार)

यह वक़्फ़ बोर्ड के तहत संचालित एक प्रमुख मदरसा है, जहाँ इस्लामी और धार्मिक शिक्षा दी जाती है।

2. मदरसा अंजुमन इस्लाम, मुंबई (महाराष्ट्र)

यह मदरसा वक़्फ़ बोर्ड की देखरेख में है और मुस्लिम समुदाय के बच्चों को धार्मिक और आधुनिक शिक्षा प्रदान करता है।

3. मदरसा मजहरुल उलूम, बेंगलुरु (कर्नाटक)

यह संस्थान वक़्फ़ बोर्ड द्वारा संचालित है और यहाँ कुरान, हदीस, फिकह के साथ-साथ आधुनिक विषयों की भी शिक्षा दी जाती है।

4. मदरसा अनवारुल उलूम, चेन्नई (तमिलनाडु)

यह मदरसा तमिलनाडु वक़्फ़ बोर्ड के अंतर्गत आता है और यहाँ इस्लामी शिक्षा का महत्वपूर्ण केंद्र है।

5. मदरसा अमीनिया, दिल्ली

यह दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड के तहत संचालित एक प्रमुख मदरसा है, जहाँ इस्लामी शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा का भी प्रावधान है।

6. मदरसा अरबिया इस्लामिया, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

यह उत्तर प्रदेश वक़्फ़ बोर्ड के अंतर्गत आता है और यहाँ धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ सामाजिक और सांस्कृतिक शिक्षा भी दी जाती है।

7. मदरसा अल्लामा इक़बाल, भोपाल (मध्य प्रदेश)

यह मदरसा मध्य प्रदेश वक़्फ़ बोर्ड द्वारा संचालित है और यहाँ धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ छात्रों को कौशल विकास की ट्रेनिंग भी दी जाती है।

8. मदरसा क़ासिम उल उलूम, अमरोहा (उत्तर प्रदेश)

यह उत्तर प्रदेश वक़्फ़ बोर्ड के अधीन संचालित एक प्रमुख धार्मिक संस्थान है, जो इस्लामी तालीम का केंद्र है।

9. मदरसा नूरुल उलूम, कटक (ओडिशा)

यह ओडिशा वक़्फ़ बोर्ड द्वारा संचालित एक मदरसा है, जहाँ इस्लामी शिक्षा के साथ-साथ बच्चों को आधुनिक शिक्षा भी दी जाती है।

10. मदरसा तल्हा इस्लामिया, जयपुर (राजस्थान)

यह राजस्थान वक़्फ़ बोर्ड के तहत संचालित होता है और यहाँ धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ कंप्यूटर शिक्षा और आधुनिक विषय भी पढ़ाए जाते हैं।

ये सभी मदरसे वक़्फ़ बोर्ड के मार्गदर्शन और वित्तीय सहायता से चलते हैं, और मुस्लिम समुदाय को धार्मिक और आधुनिक शिक्षा प्रदान करने का कार्य करते हैं।

(II) स्कूल और कॉलेज:

भारत में कई स्कूल और कॉलेज वक़्फ़ बोर्ड के अंतर्गत संचालित होते हैं, जो मुस्लिम समुदाय को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए स्थापित किए गए हैं। निम्नलिखित वक़्फ़ बोर्ड द्वारा चलाए जा रहे कुछ प्रमुख स्कूल और कॉलेज की सूची दी गई है:

1. अंजुमन-ए-इस्लाम स्कूल और कॉलेज, मुंबई (महाराष्ट्र)

यह एक प्रमुख शिक्षण संस्थान है, जिसमें प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक की व्यवस्था है। इसमें अंजुमन-ए-इस्लाम डिग्री कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, और मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट शामिल हैं।

2. मौलाना आज़ाद कॉलेज, कोलकाता (पश्चिम बंगाल)

यह कॉलेज पश्चिम बंगाल वक़्फ़ बोर्ड के अंतर्गत आता है और स्नातक स्तर पर विज्ञान, वाणिज्य, और कला की शिक्षा प्रदान करता है। यह संस्थान अपने उत्कृष्ट शिक्षा स्तर के लिए जाना जाता है।

3. सैयद हमीद सीनियर सेकेंडरी स्कूल (बॉयज़), अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश)

यह अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से संबद्ध एक प्रमुख स्कूल है जो वक़्फ़ संपत्ति पर स्थित है और मुस्लिम समुदाय के छात्रों को शिक्षा प्रदान करता है।

4. सैयद हमीद सीनियर सेकेंडरी स्कूल (गर्ल्स), अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश)

यह स्कूल भी वक़्फ़ बोर्ड के अंतर्गत आता है और मुस्लिम लड़कियों के लिए उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करता है।

5. अंजुमन गर्ल्स हाई स्कूल, बेंगलुरु (कर्नाटक)

यह कर्नाटक वक़्फ़ बोर्ड के तहत संचालित है और मुस्लिम लड़कियों को शिक्षा प्रदान करता है। यह विद्यालय उच्च माध्यमिक स्तर तक की शिक्षा प्रदान करता है।

6. मदरसा-ए-तालीमुल इस्लाम कॉलेज, चेन्नई (तमिलनाडु)

यह कॉलेज तमिलनाडु वक़्फ़ बोर्ड के अधीन आता है और मुस्लिम छात्रों को कला और विज्ञान में स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर की शिक्षा प्रदान करता है।

7. हमीदिया गर्ल्स डिग्री कॉलेज, प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)

यह उत्तर प्रदेश वक़्फ़ बोर्ड के अधीन संचालित एक प्रमुख कॉलेज है, जहाँ स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर की शिक्षा दी जाती है।

8. इमामियाह कॉलेज, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)

यह कॉलेज भी वक़्फ़ बोर्ड के तहत संचालित है और यहाँ इस्लामी शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक विषयों में भी शिक्षा दी जाती है।

9. मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी (MANUU) कॉलेजिएट स्कूल, हैदराबाद (तेलंगाना)

यह स्कूल MANUU विश्वविद्यालय के अंतर्गत आता है, जो वक़्फ़ संपत्ति पर स्थित है और मुस्लिम छात्रों को उर्दू माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करता है।

10. नूरुल हुदा हाई स्कूल, भोपाल (मध्य प्रदेश)

यह स्कूल मध्य प्रदेश वक़्फ़ बोर्ड द्वारा संचालित है और यहाँ प्राथमिक से माध्यमिक स्तर तक की शिक्षा दी जाती है।

ये सभी संस्थान वक़्फ़ बोर्ड के माध्यम से संचालित होते हैं और मुस्लिम समुदाय को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान करने का कार्य करते हैं। इन संस्थानों के ज़रिए वक़्फ़ बोर्ड शिक्षा के क्षेत्र में एक अहम योगदान दे रहा है।

(III) छात्रवृत्ति (स्कॉलरशिप) प्रदान करना: वक़्फ़ बोर्ड का योगदान

वक़्फ़ बोर्ड का उद्देश्य समाज के जरूरतमंद और कमजोर वर्ग के छात्रों को शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित करना और उन्हें उच्च शिक्षा प्राप्त करने के अवसर उपलब्ध कराना है। इसके लिए वक़्फ़ बोर्ड द्वारा विभिन्न प्रकार की छात्रवृत्तियाँ (स्कॉलरशिप) प्रदान की जाती हैं। ये छात्रवृत्तियाँ विशेष रूप से अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के छात्रों को दी जाती हैं, ताकि वे आर्थिक तंगी के बावजूद शिक्षा की ओर प्रेरित रहें और अपने शैक्षणिक लक्ष्यों को हासिल कर सकें।

वक़्फ़ बोर्ड द्वारा प्रदान की जाने वाली छात्रवृत्तियों के प्रकार:

1. स्कूल और कॉलेज स्तर की छात्रवृत्ति:

वक़्फ़ बोर्ड कक्षा 1 से लेकर 12वीं तक के छात्रों को स्कूल स्तर की छात्रवृत्तियाँ प्रदान करता है। इसके अलावा, स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर भी छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है, ताकि छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहन मिल सके।

2. तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति:

वक़्फ़ बोर्ड इंजीनियरिंग, मेडिकल, मैनेजमेंट और अन्य व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए विशेष छात्रवृत्तियाँ प्रदान करता है। इससे छात्रों को अपनी शिक्षा का खर्च उठाने में सहायता मिलती है और वे अपने करियर मेंआगेबढ़ सकते हैं।

(IV) तालीमी संस्थाओं को वित्तीय मदद: 

वक़्फ़ बोर्ड का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य समुदाय के शैक्षणिक विकास को बढ़ावा देना है, खासकर अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के लिए। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए वक़्फ़ बोर्ड न केवल छात्रवृत्तियाँ प्रदान करता है, बल्कि शैक्षणिक संस्थाओं को भी वित्तीय मदद प्रदान करता है। इस मदद का मुख्य उद्देश्य मदरसे, स्कूल, कॉलेज और तकनीकी संस्थानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है ताकि वे छात्रों को बेहतर शैक्षणिक माहौल और संसाधन उपलब्ध करा सकें।

वित्तीय मदद के प्रकार:

वक़्फ़ बोर्ड विभिन्न प्रकार की वित्तीय सहायता प्रदान करता है, जो संस्थानों की जरूरतों के अनुसार निर्धारित होती है। इन सहायता योजनाओं का उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना, शैक्षणिक अवसंरचना का विकास करना, और आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को लाभान्वित करना है।

1. बुनियादी ढांचे की तरक़्क़ी में मदद 

वक़्फ़ बोर्ड शैक्षणिक संस्थानों की इमारतों के निर्माण, विस्तार, और रखरखाव के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करता है। इसमें स्कूलों और मदरसों के लिए कक्षाओं, पुस्तकालय, विज्ञान प्रयोगशाला, और छात्रावास जैसी सुविधाओं का निर्माण शामिल है।

2.आधुनिक सुविधाओं के लिए सहायता:

शैक्षणिक संस्थानों को कंप्यूटर लैब, स्मार्ट क्लासरूम, और डिजिटल लाइब्रेरी जैसी आधुनिक सुविधाएँ स्थापित करने के लिए भी आर्थिक मदद दी जाती है। इसका उद्देश्य छात्रों को आधुनिक शिक्षा से जोड़ना और उनकी सीखने की क्षमता को बढ़ाना है।

3. शैक्षणिक सामग्री के लिए सहायता:

स्कूलों और मदरसों को पुस्तकें, स्टेशनरी, और शैक्षणिक उपकरण उपलब्ध कराने के लिए भी वित्तीय सहायता दी जाती है। इससे छात्रों को पढ़ाई का बेहतर माहौल मिलता है और वे अपनी शिक्षा के प्रति अधिक उत्साही हो जाते हैं।

4. शिक्षक प्रशिक्षण और वेतन के लिए सहायता:

वक़्फ़ बोर्ड शिक्षकों के प्रशिक्षण और उनके वेतन के लिए भी सहायता प्रदान करता है। इससे संस्थानों को योग्य शिक्षकों की नियुक्ति करने में मदद मिलती है और छात्रों को गुणवत्ता वाली शिक्षा प्राप्त होती है।

5. तकनीकी और व्यावसायिक संस्थानों के लिए मदद:

वक़्फ़ बोर्ड इंजीनियरिंग, मेडिकल, मैनेजमेंट और अन्य व्यावसायिक संस्थानों को भी वित्तीय सहायता प्रदान करता है, ताकि ये संस्थान छात्रों को व्यावहारिक शिक्षा और कौशल विकास के अवसर प्रदान कर सकें।

(IV) व्यावसायिक और तकनीकी शिक्षा

वक़्फ़ बोर्ड के तहत कई व्यावसायिक और तकनीकी शिक्षा संस्थान संचालित होते हैं, जो मुस्लिम समुदाय के युवाओं को रोजगारपरक शिक्षा और कौशल विकास के अवसर प्रदान करते हैं। ये संस्थान विभिन्न क्षेत्रों में तकनीकी, व्यावसायिक, और व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करते हैं, ताकि छात्र व्यावहारिक ज्ञान और कौशल हासिल कर सकें। नीचे वक़्फ़ बोर्ड द्वारा संचालित कुछ प्रमुख व्यावसायिक और तकनीकी शिक्षा संस्थानों की सूची दी गई है:

वक़्फ़ बोर्ड द्वारा संचालित प्रमुख व्यावसायिक और तकनीकी शिक्षा संस्थान:

1. वक़्फ़ बोर्ड आईटीआई, पटना (बिहार)

यह संस्थान विभिन्न तकनीकी और औद्योगिक प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान करता है, जैसे कि इलेक्ट्रिकल, फिटर, वेल्डर, और मैकेनिक आदि।

2. अंजुमन-ए-इस्लाम इंजीनियरिंग कॉलेज, मुंबई (महाराष्ट्र)

यह कॉलेज वक़्फ़ बोर्ड के अंतर्गत आता है और विभिन्न इंजीनियरिंग शाखाओं जैसे कि कंप्यूटर, इलेक्ट्रिकल, और मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री प्रदान करता है।

3. मौलाना आज़ाद टेक्निकल इंस्टीट्यूट, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

यह संस्थान वक़्फ़ बोर्ड द्वारा संचालित है और तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा के लिए प्रमाणपत्र और डिप्लोमा कोर्स प्रदान करता है।

4. अंजुमन-ए-इस्लाम गर्ल्स पॉलिटेक्निक, मुंबई (महाराष्ट्र)

यह पॉलिटेक्निक कॉलेज मुस्लिम लड़कियों को विभिन्न तकनीकी और व्यावसायिक क्षेत्रों जैसे कंप्यूटर साइंस, इलेक्ट्रॉनिक्स, और फैशन डिज़ाइनिंग में डिप्लोमा कोर्स प्रदान करता है।

5. हमीदिया पॉलिटेक्निक, भोपाल (मध्य प्रदेश)

इस संस्थान में विभिन्न व्यावसायिक और तकनीकी कोर्सेज़ जैसे सिविल, मैकेनिकल, और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा कोर्सेज़ उपलब्ध हैं।

6. दरगाह अजमेर शरीफ आईटीआई, अजमेर (राजस्थान)

यह संस्थान वक़्फ़ बोर्ड के अंतर्गत आता है और यहाँ वेल्डर, फिटर, और इलेक्ट्रिकल जैसी ट्रेडों में तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।

7. जामिया रज़विया मिज़बान-उल-उलूम, देवबंद (उत्तर प्रदेश)

यह संस्थान वक़्फ़ बोर्ड के तहत विभिन्न व्यावसायिक और तकनीकी कोर्स जैसे कंप्यूटर एप्लीकेशन, टेलरिंग, और मैनेजमेंट कोर्स प्रदान करता है।

8. आलिया मदरसा टेक्निकल इंस्टीट्यूट, कोलकाता (पश्चिम बंगाल)

यहाँ पर विभिन्न व्यावसायिक और तकनीकी कोर्सेज़ जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर साइंस, और मैकेनिकल इंजीनियरिंग में प्रशिक्षण दिया जाता है।

9. तिब्बिया कॉलेज और अस्पताल, दिल्ली

यह कॉलेज यूनानी चिकित्सा शिक्षा प्रदान करता है और इसके अंतर्गत व्यावसायिक चिकित्सा प्रशिक्षण और स्वास्थ्य सेवाओं का भी प्रावधान है।

10. अंजुमन-ए-इस्लाम इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट, मुंबई (महाराष्ट्र)

यह संस्थान होटल मैनेजमेंट और केटरिंग टेक्नोलॉजी में विभिन्न कोर्स प्रदान करता है, ताकि छात्र आतिथ्य उद्योग में रोजगार प्राप्त कर सकें।

इन संस्थानों के माध्यम से वक़्फ़ बोर्ड मुस्लिम समुदाय के छात्रों को व्यावसायिक और तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने के अवसर प्रदान कर रहा है। यह पहल समुदाय के युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उनके करियर की संभावनाओं को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

(V) आधुनिक शिक्षा और कम्प्यूटर शिक्षा

वक़्फ़ बोर्ड का उद्देश्य न केवल पारंपरिक धार्मिक शिक्षा को बढ़ावा देना है, बल्कि आधुनिक शिक्षा और तकनीकी कौशल के विकास में भी योगदान देना है। विशेष रूप से, कंप्यूटर शिक्षा और सूचना प्रौद्योगिकी का क्षेत्र आज के शिक्षित समाज के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है। वक़्फ़ बोर्ड द्वारा संचालित कई संस्थान इस दिशा में महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं।

1. कंप्यूटर लैब्स की स्थापना:

वक़्फ़ बोर्ड द्वारा संचालित कई स्कूलों और कॉलेजों में कंप्यूटर लैब्स स्थापित की गई हैं, जहां छात्रों को कंप्यूटर के विभिन्न अनुप्रयोगों, सॉफ्टवेयर, और प्रोग्रामिंग भाषाओं की शिक्षा दी जाती है।

2. प्रशिक्षण कार्यक्रम:

वक़्फ़ बोर्ड समय-समय पर कंप्यूटर और सूचना प्रौद्योगिकी पर विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करता है। इनमें विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षित किया जाता है, ताकि छात्र नवीनतम तकनीकों और टूल्स से अवगत हो सकें।

3. ऑनलाइन शिक्षा:

डिजिटल शिक्षा के महत्व को समझते हुए, वक़्फ़ बोर्ड कई ऑनलाइन पाठ्यक्रमों की पेशकश कर रहा है। ये पाठ्यक्रम छात्रों को घर बैठे कंप्यूटर विज्ञान, डेटा एनालिटिक्स, ग्राफिक डिजाइनिंग, और अन्य तकनीकी कौशल सीखने का अवसर प्रदान करते हैं।

4. विज्ञान और प्रौद्योगिकी की शिक्षा:

वक़्फ़ बोर्ड द्वारा संचालित कई संस्थान विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में शिक्षा प्रदान करते हैं। इनमें इंजीनियरिंग, सूचना प्रौद्योगिकी, और मैनेजमेंट जैसे विषय शामिल हैं, जो छात्रों को तकनीकी ज्ञान और कौशल से सुसज्जित करते हैं।

5. साक्षात्कार और करियर मार्गदर्शन:

वक़्फ़ बोर्ड अपने छात्रों को करियर मार्गदर्शन प्रदान करता है, जिसमें विभिन्न उद्योगों में कंप्यूटर और तकनीकी कौशल के लिए आवश्यकताओं की जानकारी दी जाती है। यह छात्रों को उनके करियर के लिए सही दिशा में आगे बढ़ने में मदद करता है।

वक़्फ़ बोर्ड की पहल का महत्व:

 इन पहलों का उद्देश्य मुस्लिम समुदाय के छात्रों को आधुनिक शिक्षा और कंप्यूटर कौशल में दक्ष बनाना है। इससे वे न केवल अपनी पढ़ाई में उत्कृष्टता हासिल कर सकते हैं, बल्कि रोजगार के बेहतर अवसरों का लाभ भी उठा सकते हैं।

मदरसा से तालीम हासिल करने वाली महान हस्तियां –

1.डॉ. अल्लामा मोहम्मद इकबाल:

वे एक प्रसिद्ध कवि, Philosopher और विचारक थे। उनका योगदान उर्दू साहित्य में महत्वपूर्ण है। इकबाल ने “सर्वाधिक मुस्लिम राष्ट्र” की आवश्यकता का विचार प्रस्तुत किया और पाकिस्तान के विचारधारा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

2.मौलाना अबुल कलाम आज़ाद:

मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का जन्म 11 नवंबर 1888 को हुआ था। वे एक प्रमुख भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षा सुधारक और मुस्लिम विचारक थे। मौलाना आज़ाद ने अपने प्रारंभिक शिक्षा का एक बड़ा हिस्सा मदरसों में बिताया, जिसने उन्हें आगे चलकर भारतीय राजनीति और समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार किया। वे इस्लामी विद्या, अरबी, फारसी और अन्य धार्मिक विषयों में शिक्षित हुए। उन्होंने धार्मिक ग्रंथों, खासकर कुरान और हदीस का गहन अध्ययन किया।

3. सर सैयद अहमद खान:

सर सैयद अहमद खान का जन्म 17 अक्टूबर 1817 को हुआ था। वे एक महत्वपूर्ण मुस्लिम विचारक और सुधारक थे, जिन्होंने आलिगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना की। उनकी प्रारंभिक शिक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मदरसों में गुजरा, जहां उन्होंने इस्लामी शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने इस्लामी शिक्षाओं, अरबी और फारसी भाषाओं का गहन अध्ययन किया।

मदरसा शिक्षा ने उन्हें धार्मिक ग्रंथों के अध्ययन में गहरी रुचि विकसित करने में मदद की। मदरसों में पढ़ाई के दौरान, उन्होंने न केवल इस्लामिक सिद्धांतों को समझा, बल्कि पश्चिमी विज्ञान, दर्शन, और सामाजिक मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित किया। इस प्रकार, उनके दृष्टिकोण में विविधता और गहराई आई।

4.डॉ. जाकिर हुसैन: मदरसा शिक्षा

डॉ. जाकिर हुसैन का जन्म 8 फरवरी 1897 को हुआ। वे भारत के पहले मुस्लिम राष्ट्रपति और एक प्रमुख शिक्षाविद थे। उनकी शिक्षा ने उन्हें समाज में एक प्रतिष्ठित स्थान प्राप्त करने में सहायता की।

डॉ. जाकिर हुसैन ने अपने प्रारंभिक वर्षों में मदरसों में इस्लामी शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने अरबी और फारसी भाषा के साथ-साथ इस्लामी धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन किया। यह शिक्षा उनके विचारों और दृष्टिकोण को आकार देने में महत्वपूर्ण थी।

मदरसों में अध्ययन के दौरान, डॉ. हुसैन ने केवल धार्मिक विषयों पर ध्यान नहीं दिया, बल्कि उन्होंने आधुनिक विज्ञान, इतिहास, और सामाजिक विज्ञान का भी अध्ययन किया। इससे उन्हें एक समग्र दृष्टिकोण विकसित करने में मदद मिली।

उनकी मदरसा शिक्षा ने उन्हें विभिन्न धर्मों के प्रति सहिष्णुता और सम्मान का संदेश दिया। उन्होंने हमेशा समाज में सभी धर्मों के लोगों के बीच एकता और समर्पण की आवश्यकता पर जोर दिया। डॉ. जाकिर हुसैन ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में अध्ययन किया और बाद में वहां अध्यापक बने। वे भारत के शिक्षा मंत्री बने और बाद में राष्ट्रपति।

5.रवींद्रनाथ ठाकुर

रवींद्रनाथ ठाकुर, जिन्हें टैगोर के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय साहित्य के एक महान कवि, नाटककार, उपन्यासकार, और संगीतकार थे। उन्हें 1913 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले एशियाई लेखक के रूप में जाना जाता है। उनका जीवन और रचनाएँ भारतीय संस्कृति की समृद्धि और विविधता का प्रतीक हैं।

रवींद्रनाथ ठाकुर ने अपने बचपन में कुछ समय के लिए इस्लामी शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने मदरसों में पढ़ाई की, जहाँ उन्हें अरबी और फारसी साहित्य का ज्ञान प्राप्त हुआ। इस शिक्षा ने उनके साहित्यिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

रवींद्रनाथ ठाकुर की कविताओं और लेखन में इस्लामिक तत्वों का प्रभाव देखा जा सकता है। उन्होंने सूफी विचारधारा को अपनाया, जिसमें प्रेम, भक्ति, और मानवता का संदेश निहित है। उनकी रचनाएँ जैसे “गीतांजलि ” में यह भावना स्पष्ट रूप से झलकती है।

6.महात्मा गांधी:

महात्मा गांधी, जिन्हें “राष्ट्रपिता” कहा जाता है, का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के केंद्रीय नेता और एक प्रभावशाली विचारक थे। उनकी शिक्षा और विचारधारा ने भारतीय समाज को गहराई से प्रभावित किया।

महात्मा गांधी ने अपने बचपन में कुछ समय मदरसों में बिताया, जहां उन्होंने इस्लामी धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन किया। यह अनुभव उन्हें विभिन्न धर्मों की शिक्षाओं और सांस्कृतिक विविधता के प्रति संवेदनशील बनाता है।

मदरसा शिक्षा ने गांधी जी को धार्मिक सहिष्णुता और सभी धर्मों के प्रति आदर का महत्व सिखाया। उन्होंने हमेशा यह कहा कि सभी धर्मों का मूल उद्देश्य मानवता की सेवा करना है। मदरसों में अध्ययन के दौरान उन्होंने अरबी और फारसी साहित्य का भी ज्ञान प्राप्त किया। इसने उन्हें एक वैश्विक दृष्टिकोण विकसित करने में मदद की, जिससे वे अन्य संस्कृतियों और धार्मिक विचारों के प्रति खुला मन रख सके।

7.बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय:

बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय का जन्म 26 जून 1838 को नदिया जिले के कचारी गाँव, बंगाल में हुआ था। वे भारतीय साहित्य के महान कवि, उपन्यासकार और विचारक थे। उनकी कृतियों ने भारतीय समाज और संस्कृति पर महत्वपूर्ण प्रभाव छोड़ा।

बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने अपने प्रारंभिक शिक्षा का एक हिस्सा मदरसों में बिताया। वहाँ उन्होंने इस्लामी शिक्षा, अरबी और फारसी साहित्य का अध्ययन किया। इस अनुभव ने उन्हें विविध धार्मिक विचारों और सांस्कृतिक धरोहरों से अवगत कराया।

मदरसा शिक्षा ने उन्हें सांस्कृतिक विविधता और धार्मिक सहिष्णुता के प्रति संवेदनशील बनाया। उन्होंने इस्लामिक साहित्य से प्रेरणा लेकर अपने विचारों में गहराई और व्यापकता जोड़ी। मदरसों में अध्ययन के साथ-साथ, बंकिम चंद्र ने पश्चिमी साहित्य और दर्शन का भी अध्ययन किया। यह उनके लेखन में एक अद्वितीय मिश्रण और गहराई लाया।

निष्कर्ष :

वक़्फ़ बोर्ड ने मुस्लिम समाज में तालीम, सेहत और समाज कल्याण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसकी विभिन्न पहलों के माध्यम से, जैसे कि शिक्षा संस्थानों की स्थापना, छात्रवृत्तियों का प्रावधान और स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता, समाज में जागरूकता और विकास को बढ़ावा मिला है। वक़्फ़ बोर्ड ने न केवल धार्मिक शिक्षा को महत्वपूर्ण माना है, बल्कि आधुनिक शिक्षा की जरूरतों को भी समझा है, जिससे नई पीढ़ी को समग्र रूप से तैयार किया जा सके।

इसके अलावा, समाज कल्याण की योजनाएं और स्वास्थ्य सेवाएं न केवल मुसलमानों बल्कि पूरे समाज के उत्थान में सहायक सिद्ध हो रही हैं। वक़्फ़ बोर्ड का यह योगदान इस बात का प्रमाण है कि शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्य करने से समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।

अंततः, वक़्फ़ बोर्ड का कार्य सिर्फ एक धार्मिक दायित्व नहीं, बल्कि समाज की प्रगति और विकास के लिए एक ठोस कदम है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मजबूत नींव रखता है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)-

Q-1. वक़्फ़ बोर्ड क्या है और इसका उद्देश्य क्या है?

Ans- वक़्फ़ बोर्ड एक सरकारी संगठन है, जो मुस्लिम समुदाय की धार्मिक, शैक्षिक और सामाजिक जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से वक़्फ़ संपत्तियों का प्रबंधन और संचालन करता है। इसका उद्देश्य इन संपत्तियों से प्राप्त आय को मुस्लिम समुदाय के सामाजिक और शैक्षिक विकास के लिए उपयोग करना है।

Q-2. वक़्फ़ बोर्ड तालीम के क्षेत्र में कैसे योगदान करता है?

Ans- वक़्फ़ बोर्ड मदरसों, स्कूलों, कॉलेजों और व्यावसायिक शिक्षण संस्थानों का संचालन करता है। इसके साथ ही, यह मुस्लिम विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्तियों की व्यवस्था भी करता है, ताकि वे अपनी उच्च शिक्षा को प्राप्त कर सकें।

Q-3. क्या वक़्फ़ बोर्ड सेहत के क्षेत्र में भी कार्य करता है?

Ans- जी हां, वक़्फ़ बोर्ड कई अस्पतालों, डिस्पेंसरी और स्वास्थ्य केंद्रों का संचालन करता है। ये संस्थान मुस्लिम समाज के अलावा, अन्य जरूरतमंद लोगों को भी स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करते हैं।

Q-4. वक़्फ़ बोर्ड द्वारा दिए जाने वाली छात्रवृत्ति का लाभ कौन उठा सकता है?

Ans- वक़्फ़ बोर्ड द्वारा दी जाने वाली छात्रवृत्ति का लाभ मुस्लिम समुदाय के वे विद्यार्थी उठा सकते हैं, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं। इसके लिए उन्हें वक़्फ़ बोर्ड द्वारा निर्धारित पात्रता मानदंडों को पूरा करना होता है।

Q-5. वक़्फ़ संपत्तियों का उपयोग किस प्रकार किया जाता है?

Ans- वक़्फ़ संपत्तियों का उपयोग मुख्यतः धार्मिक स्थलों के रखरखाव, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार और समाज कल्याण की योजनाओं के लिए किया जाता है। इनसे प्राप्त आय का एक हिस्सा गरीब और जरूरतमंदों की सहायता के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।

Q-6. वक़्फ़ बोर्ड के अधीन कितनी संपत्तियां होती हैं?

Ans- वक़्फ़ बोर्ड के अधीन लाखों संपत्तियां होती हैं, जिनमें मस्जिदें, दरगाहें, कब्रिस्तान, स्कूल, कॉलेज और अन्य कई प्रकार की संपत्तियां शामिल हैं। ये संपत्तियां समाज की भलाई और विकास के लिए उपयोग की जाती हैं।

Q-7. वक़्फ़ बोर्ड के अधीन आने वाले तालीमी संस्थानों में कौन-कौन से हैं?

Ans- वक़्फ़ बोर्ड के अंतर्गत कई स्कूल, कॉलेज, और व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थान आते हैं। ये संस्थान धार्मिक और आधुनिक शिक्षा दोनों प्रदान करते हैं, ताकि विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास हो सके।

Q-8. क्या गैर-मुस्लिम भी वक़्फ़ बोर्ड द्वारा संचालित स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं?

Ans- जी हां, वक़्फ़ बोर्ड द्वारा संचालित स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाएं सभी जरूरतमंद लोगों के लिए खुली होती हैं, चाहे वे किसी भी धर्म या समुदाय के हों।

Q-9. वक़्फ़ बोर्ड से किस प्रकार संपर्क किया जा सकता है?

Ans- वक़्फ़ बोर्ड से संपर्क करने के लिए आप उनकी आधिकारिक वेबसाइट पर जा सकते हैं, जहां आपको विभिन्न सेवाओं, संपर्क जानकारी और आवेदन प्रक्रियाओं के बारे में विस्तृत जानकारी मिल जाएगी।

Q-10. वक़्फ़ संपत्तियों का दान कैसे किया जा सकता है? 

Ans- वक़्फ़ संपत्तियों का दान करने के लिए आप वक़्फ़ बोर्ड से संपर्क कर सकते हैं। दान के लिए आवश्यक कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होता है, जिसके बाद आपकी संपत्ति को वक़्फ़ बोर्ड के नाम पर पंजीकृत किया जाता है, ताकि उसका सही उपयोग हो सके।

Sources:

बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय1.”Bengali Literature: A History” 2. “The Complete Works of Bankim Chandra Chattopadhyay” 3. “Bankim Chandra Chattopadhyay: A Biographical Study” by Manas Chatterjee

रवींद्रनाथ ठाकुर (टैगोर)-

1.”The Essential Tagore” 2. “Rabindranath Tagore: The Poet of the East” 3. “Rabindranath Tagore and His Impact on the Bengali Culture”

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