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  • May 19, 2025
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राह-ए-इस्लाम: एक ग़ज़ल

यह ग़ज़ल राह-ए-इस्लाम की हक़ीक़ी तालीमात और असल मायने को बेइंतेहा खुबसूरती से पेश करती है। इसमें इंसानियत, मोहब्बत, और इंसाफ़ जैसे अहम मअानी को उभारते हुए उन कुत्सित रवैयों…

दौर-ए-फितना की दास्तान: एक ग़ज़ल

  🔷 भूमिका: “दौर-ए-फितना की दास्तान” हर दौर की एक अपनी दास्तान होती है—कुछ लफ़्ज़ों में दर्ज, कुछ ज़ख्मों में, और कुछ ख़ामोशियों में दफ़न। मगर जब ज़माना फितना (उथल-पुथल)…

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  • May 14, 2025
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उम्मत का बंटवारा: एक ग़ज़ल

“उम्मत का बंटवारा” एक ऐसी ग़ज़ल है जो महज़ अल्फ़ाज़ नहीं, बल्कि हमारे समाज की तारीख़ी ग़लतियों, बंटवारे की सियासत और मोहब्बत की शिकस्त की गवाही है। इस शायरी में…

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  • May 14, 2025
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सियासत और ईमान का सौदा: एक ग़ज़ल

सियासत और ईमान का सौदा” एक ऐसी ग़ज़ल है जो हमारे दौर की तल्ख़ हक़ीक़तों को बेनक़ाब करती है। इस ग़ज़ल में जज़्बात, तहज़ीब और दीनी एहसासात का मेल दिखाई…

जज़्बातों की ज़ुबान:एक ग़ज़लनुमा दास्तान

जज़्बातों की ज़ुबान:एक ग़ज़लनुमा दास्तान जज़्बातों की ज़ुबान कभी भी ज़िंदगी को फूलों का बिस्तर नहीं समझती। जज़्बातों की चादर पर अक्सर ख़ामोशी (चुप्पी) की सिलवटें (शिकनें/झुर्रियाँ) होती हैं, और…

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  • May 11, 2025
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इश्क़ का क़हल: एक ग़ज़ल

“इश्क़ का क़हल” (प्यार का सूखा या ठहराव) की यह ग़ज़ल मोहब्बत के उन लम्हों को बयान करती है जहाँ जज़्बात अपनी आख़िरी हदों तक पहुँचकर ख़ामोशी ओढ़ लेते हैं।…

राहगुज़र-ए-इश्क़:एक ग़ज़ल

यह ग़ज़ल “राहगुज़र-ए-इश्क़” एक रूहानी (आध्यात्मिक) सफ़र को बयान करती है, जहाँ इश्क़ (प्रेम) सिर्फ एक जज़्बा (भावना) नहीं बल्कि एक कशिश (आकर्षण) है जो आशिक़ को फ़िराक़ (जुदाई), हिज्र…

यादों की धुंध: एक ग़ज़ल

ग़ज़ल “यादों की धुंध” एक गहराई से भरी शायरी है जो मोहब्बत (प्यार) की मासूम जुस्तजू (खोज), जुदाई की सर्दी और यादों की महक को अल्फ़ाज़ों (शब्दों) की शक्ल में…

आँवला की ख़ूबसूरती

आँवला, जिसे भारतीय तिब्ब-ए-यूनानी (यूनानी चिकित्सा) में अमृत फल कहा जाता है, न सिर्फ ज़ायके (स्वाद) में तीखा और खट्टा है, बल्कि इसके सही (सेहत) के मोजिज़ात (स्वास्थ्य चमत्कार) भी बेमिसाल हैं। यह ग़ज़ल आँवले की कुदरती अता की हुई ताक़त (प्राकृतिक शक्ति) और उसके सही (सेहत) पर हैरतअंगेज़…

‘वक़्फ़ का सवाल’: एक दास्तान-ए-हयात

‘‘वक़्फ़ का सवाल’ एक ऐसे गहरे मामले को जन्म देता है जो मात्र धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व तक सीमित नहीं, बल्कि समाज और सियासत के पेचीदा रिश्तों को भी बेनक़ाब…

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  • May 2, 2025
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बिखरे ख़्वाब, जलते सवाल

“बिखरे ख़्वाब, जलते सवाल” एक दिल से निकली हुई शेरों की कश्ती है, जो ज़िंदगी के समंदर में बहते दर्द, मोहब्बत, तन्हाई, और रिश्तों की हक़ीक़त को अपनी हर मौज…

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  • April 25, 2025
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पंचर वाले: एक ग़ज़ल

यह ग़ज़ल “पंचर वाले” उन्हीं शख़्सीयतों का एहतराम करती है, जिन्होंने अपनी मेहनत और कुर्बानियों से अंधेरों में रोशनी पैदा की। हमारे समाज में ऐसे बे़शुमार लोग हैं जिन्होंने अपनी…

“मोहब्बत और ज़िंदगी: एक ग़ज़ल की तहरीर”

Author: “क़बीर ख़ान” Date: “2025-04-25” मोहब्बत और ज़िंदगी: एक ग़ज़ल की तहरीर मोहब्बत की ताज़गी लाज़िम है ज़िंदगी के लिए, मगर चंद सिक्कों की गर्मी भी है रवानगी के लिए।…

ज़ुल्म की वीरानी

ज़ुल्म की वीरानी पर ग़ज़ल – ग़ज़ल: “ज़ुल्म की वीरानी को ग़म-ए-दिलख्वे ना दे” ज़न्नत-ए-कश्मीर को ज़ुल्म-ए-सियाह का सितम-ए-सहे ना दे, बेगुनाहों के ख़ून से फ़र्द-ए-ख़ुदा को ग़म-ए-दिलख्वे ना दे।…

फ़िलस्तीन के दर्द पर ग़ज़ल “मैं फ़िलस्तीन हूँ”

फ़िलस्तीन के दर्द पर ग़ज़ल “मैं फ़िलस्तीन हूँ” यह मेरी ज़मीन है, यह मेरी ज़मीन है,हर दर्द की कहानी, मैं फ़िलस्तीन हूँ। मैं फ़िलस्तीन हूँ, मैं फ़िलस्तीन हूँ।” नक़्शे में…

वक़्फ़ क़ानून 1995 बनाम वक़्फ़ संशोधन क़ानून 2025

तआऱुफ़ (Introduction) : वक़्फ़ एक ऐसा निज़ाम है जो सदीयों से मुस्लिम समाज में मआशी (आर्थिक) और समाजी (सामाजिक) फ़लाह-ओ-बहबूदी के लिए बुनियादी किरदार अदा करता चला आ रहा है।…

ग़ुल्फ़िशां के नाम एक ग़ज़ल

ग़ज़ल — ग़ुल्फ़िशां के नाम ग़ुल्फ़िशां की सदा को कैद कर बैठे हैं लोग, हक़ की आवाज़ को बग़ावत समझ बैठे हैं लोग। -1 वो जो ज़ुल्मों से लड़ी, सब्र…

जादुई अल्फाज़: गैरों को अपना बना दें

Author: Er. Kabir Khan B.E.(Civil Engg.) LLB, LLM परिचय: ‘जादुई अल्फाज़’ वे लफ़्ज़ (शब्द) हैं जो किसी की सोच, एहसास (भावना), या रवैया (व्यवहार) को बदलने की सलाहियत (क्षमता) रखते…

उर्दू अल्फ़ाज़ जो आपकी ज़बान को बना देंगे पुरकशिश

Introduction उर्दू अल्फ़ाज़ (शब्द) सिर्फ़ गुफ़्तगू (बातचीत) का एक ज़रिया नहीं, बल्कि हमारी तहज़ीब (संस्कृति) और शख़्सियत (व्यक्तित्व) की झलक भी पेश करते हैं। जब लफ़्ज़ (शब्द) नफ़ासत (शालीनता) और…

शिवाजी महाराज: मुसलमानों के प्रति सम्मान

Author: Er. Kabir Khan B.E.(Civil Engg.) LLB, LLM प्रस्तावना (तमहीद): शिवाजी महाराज सिर्फ़ एक महान हुक्मराँ (शासक) ही नहीं, बल्कि हिंदुस्तानी तारीख़ (भारतीय इतिहास) के वो शानदार सितारे थे, जिन्होंने अपनी जंगी महारत (सैन्य कौशल) और इंतज़ामी क़ाबिलियत (प्रशासनिक दक्षता)…