सुकून-ए-शहर: एक ग़ज़ल

🔹तआर्रुफ़: “सुकून-ए-शहर” एक रूहानी ग़ज़ल है जो इंसानियत, मोहब्बत और अमन का पैग़ाम देती है। इसमें कवि ने समाज में फैलती नफ़रत, ज़ुल्म और बेज़ारी के बीच इंसानी हक़ीक़त की…

रूह की पुकार: एक ग़ज़ल

तआर्रुफ़: ग़ज़ल: रूह की पुकार एक रूहानी और इंसानियत से भरपूर ग़ज़ल है। इसमें लेखक ने बदलते वक़्त, रिश्तों, मोहब्बत और इंसानियत के महत्व को बड़ी नफ़ासत से बयां किया…

दिलों का शहंशाह: एक ग़ज़ल

तआर्रुफ़ : ग़ज़ल: दिलों का शहंशाह इंसानियत, मोहब्बत और रूहानी एहसासों की गहराई को बयां करती है। इसमें लेखक ने यह दर्शाया है कि किसी दिल पर राज करना केवल…

सफ़र-ए-मौत: एक ग़ज़ल

तआर्रुफ़: “सफ़र-ए-मौत” एक ग़ज़ल है जो ज़िन्दगी, मौत और इंसानी भावनाओं की गहराई को बयान करती है। इसमें लेखक ने मृत्यु के पास आने पर इंसान की मानसिक स्थिति, तन्हाई,…

ज़ुल्म-ओ-सबर: एक ग़ज़ल

तआर्रुफ़: “ग़ज़ल: ज़ुल्म-ओ-सबर” एक ऐसी रूहानी और प्रेरणादायक ग़ज़ल है जो इंसाफ़ और सब्र की ताक़त को बयान करती है। इसमें मज़लूमों की तड़प, झूठे दावों और जालिमों की नापाकियत…

ज़ुल्म-ए-हुक़ूमत: एक ग़ज़ल

तआर्रुफ़: ग़ज़ल: ज़ुल्म-ए-हुक़ूमत मानवता और इंसाफ़ की अहमियत को बयान करती है। इस ग़ज़ल में शायर ने ज़ालिमों और हुक़ूमत के अत्याचार को नफ़रत, ज़ुल्मत और सियासी चालों के माध्यम…

सुकून-ए-दिल: एक ग़ज़ल

तआर्रुफ़: “ग़ज़ल: सुकून-ए-दिल” मोहब्बत और एहसास की गहराइयों को बयान करती है। इसमें शायर ने इश्क़ की तल्ख़ियों को भी नगीना बताया है और यक़ीन दिलाया है कि सच्चे जज़्बात…

मोहब्बत के साए: एक ग़ज़ल

तआर्रुफ़: “ग़ज़ल: मोहब्बत के साए” इश्क़ की गहराइयों और जज़्बात की नज़ाकत का आईना है। इसमें दिल की तड़प, तन्हाई का असर और यादों की ख़ुशबू बड़ी नफ़ासत से पिरोई…

सफ़र-ए-इश्क़: एक ग़ज़ल

तआर्रुफ़: “ग़ज़ल: सफ़र-ए-इश्क़” मोहब्बत और रूहानी एहसास की खूबसूरत तसवीर है। इसमें इश्क़ की तन्हाई, चाहत की रौशनी और जुदाई की तल्ख़ियाँ बड़ी नफ़ासत से बयान की गई हैं। हर…

ग़म-ए-जानाँ: एक ग़ज़ल

तआर्रुफ़: “ग़ज़ल: ग़म-ए-जानाँ” मोहब्बत और जुदाई की तसवीर है। इसमें दिल की तड़प, यादों की महक और तन्हाई की तल्ख़ियाँ बड़ी नफ़ासत से बयान की गई हैं। हर शेर में…