सुकून-ए-शहर: एक ग़ज़ल

🔹तआर्रुफ़: “सुकून-ए-शहर” एक रूहानी ग़ज़ल है जो इंसानियत, मोहब्बत और अमन का पैग़ाम देती है। इसमें कवि ने समाज में फैलती नफ़रत, ज़ुल्म और बेज़ारी के बीच इंसानी हक़ीक़त की…

सेब के फ़ायदे: एक ग़ज़ल

🖋️ तआर्रुफ़ (प्रस्तावना): ग़ज़ल “सेब के फ़ायदे” एक रचनात्मक प्रयास है जो कुदरत की इस बेहतरीन नेमत — सेब — के गुणों को शायरी की ज़ुबान में बयाँ करती है।…

तलाश-ए-गुल-वतन: एक ग़ज़ल

ताअर्रुफ़: “तलाश-ए-गुल-वतन” सिर्फ एक ग़ज़ल नहीं, बल्कि एक तहज़ीबयाफ़्ता चीख़ है — उस शायर की जो अपने वतन की उजड़ी हुई सूरत से ग़मगीन भी है और बेदार भी। हर…

अमन का पैग़ाम: एक ग़ज़ल

🌿 तआर्रुफ़ (परिचय): “अमन का पैग़ाम” ग़ज़ल सिर्फ़ अशआर का सिलसिला नहीं, बल्कि एक सोच, एक सरोकार, और एक सच्ची कोशिश है उस इंसानियत की जिसे सियासत, मज़हब और नफ़रत…