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तआर्रुफ़ :

ग़ज़ल: दिलों का शहंशाह इंसानियत, मोहब्बत और रूहानी एहसासों की गहराई को बयां करती है। इसमें लेखक ने यह दर्शाया है कि किसी दिल पर राज करना केवल छल-कपट से संभव नहीं है, बल्कि दिलों को जोड़ने और उन्हें समझने से ही सच्चा असर पैदा होता है। शेरों में नफ़रत, झूठ, फ़ायदा, ज़ुल्म और इंसानियत के बीच संतुलन दिखाया गया है। हर मिसरा सच्चाई, सादगी और दिल की आवाज़ को उजागर करता है। इस ग़ज़ल का मक़सद यह समझाना है कि रिश्तों में सच्चाई, प्यार और अपनापन ही इंसान को असली शहंशाह बनाते हैं, जबकि छल, नफ़रत और दिखावा केवल मायूसी और बेअसरियत पैदा करते हैं।

ग़ज़ल: दिलों का शहंशाह

मतला
दिलों पे राज करना है तो दिलों को जोड़ना लाज़िम,
दिलों को तोड़ कर कोई शहंशाह नहीं बनता।

जहाँ में नफ़रतें बढ़ती रहीं बे-इंतिहा अब तक,
अँधेरों में घिरा दिल कोई अरमान नहीं बनता।

ख़ुलूस-ए-दिल से निकली बात असर रख जाती है,
हर एक लफ़्ज़ मोहब्बत का बयान नहीं बनता।

तअल्लुक़ तो कई बनते हैं इस दुनिया में लेकिन,
हर एक साथ तेरा सुकून-ए-जान नहीं बनता।

जिसे लहजा हो नर्म और निगाहें साफ़-सुथरी,
वो ग़रीब हो तो भी परेशान नहीं बनता।

ज़ुबाँ से फूल झरते हों, दुआएँ साथ चलती हों,
वो शख़्स है, मगर रूह-ए-इंसान नहीं बनता।

जहाँ में नफ़रतों के बीच भी रहे अपनापन,
जहाँ नूर-ए-इश्क़ हो, वहाँ गुमान नहीं बनता।

जो सच को सच कहे, फिर भी सलामत रहे,
दौर-ए-ज़ुल्म में कोई मेहरबान नहीं बनता।

जहाँ हर शख़्स अपने फ़ायदे में मशग़ूल है,
वहाँ दिल का कोई इम्तिहान नहीं बनता।

जो दिल दुखाए बिना जी सके, वही अफ़ज़ल है,
सच्चाई से भरा दिल, मगर बेअसर नहीं बनता।

तअल्लुक़ में अगर सच हो, तो रिश्ता जिंदा रहता है,
झूठ के साए में कोई मक़ाम नहीं बनता।

मक़ता

जो मोहब्बत से हर दिल में घर कर जाए,
कबीर, जफ़ा कर के कोई नाम नहीं बनता।

ख़ातिमा:

ग़ज़ल का मक़ता इस बात का इशारा करता है कि असली शहंशाह वही है जो मोहब्बत के ज़रिए लोगों के दिलों में घर कर जाए। जफ़ा और छल से कोई नाम या शोहरत कायम नहीं रहती। प्रत्येक मिसरा यह याद दिलाता है कि सच्चाई, अपनापन और सुकून-ए-जान रिश्तों को जीवित रखते हैं। लेखक ने दिल की गहराई, इंसानियत और रिश्तों की अहमियत को उजागर किया है। यह ग़ज़ल सिर्फ़ इश्क़ और अपनापन की तारीफ़ ही नहीं करती, बल्कि यह संदेश भी देती है कि नफ़रत, झूठ और फ़ायदेबाज़ी इंसान को असली मुक़ाम तक नहीं पहुँचने देती। असली शहंशाह वही है जिसकी मोहब्बत और सच्चाई दिलों में घर कर जाए।

मुश्किल उर्दू शब्दों के आसान हिंदी अर्थ:

शहंशाह = राजा, मालिक, बड़ा इंसान, काबिल इंसान, रूहानी = आत्मिक, दिल और जान से जुड़ा, आध्यात्मिक, बे-इंतिहा = अत्यधिक, बहुत ज़्यादा, अंतहीन, ख़ुलूस-ए-दिल = दिल की सच्चाई, दिल की शुद्ध भावना, मोहब्बत = प्यार, इश्क़, बयान = ज़ाहिर करना, बोलकर व्यक्त करना, तअल्लुक़ = रिश्ता, संबंध, जुड़ाव, सुकून-ए-जान = दिल और जान की शांति, दिल का आराम, लहजा = बोलने का अंदाज़, स्वर, तरीका, ग़रीब = निर्धन, साधारण, सादा, रूह-ए-इंसान = इंसान की असली आत्मा, असली मन, नूर-ए-इश्क़ = प्यार की रोशनी, इश्क़ की चमक, गुमान = अहंकार, फुरसत, घमंड, सलामत = सुरक्षित, ठीक, संरक्षित, दौर-ए-ज़ुल्म = अन्याय का समय, कठिन समय, मेहरबान = दयालु, खुशदिल, इंसानियत वाला, मशग़ूल = व्यस्त, लगे रहना, काम में खोया, इम्तिहान = परीक्षा, कसौटी, जांच, असर = प्रभाव, परिणाम, प्रभाव डालने वाला, मक़ाम = स्थान, दर्जा, मुक़ाम, जफ़ा = बेवफाई, चोट, दुख, चोट पहुंचाना